पंजाब सरकार ने राज्य की भूमि पंजीकरण प्रणाली को पारदर्शी, तेज और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए एक अहम कदम उठाया है.'ईजी रजिस्ट्रेशन योजना' नाम की यह नई व्यवस्था 15 जून 2025 से पूरे राज्य में लागू की जा रही है. इसका उद्देश्य आम नागरिकों को एक ही छत के नीचे, समयबद्ध और सुविधाजनक ढंग से प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़ी सभी सेवाएं देना है.
यह योजना न केवल प्रशासनिक बदलाव लाएगी, बल्कि तकनीकी तौर पर भी राजस्व विभाग को अत्याधुनिक बनाएगी. इसके तहत राज्य के 23 जिलों में आधुनिक सुविधाओं से लैस रजिस्ट्रेशन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. सरकार ने इस उद्देश्य के लिए कुल 40 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है.
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पंजीकरण से जुड़े हर स्तर पर सुधार किया जाएगा. रजिस्ट्रेशन सेंटर्स को वेल-फर्निश्ड बनाने के लिए 13.50 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. इसमें फर्नीचर, लाइटिंग, वेटिंग एरिया, डिस्प्ले बोर्ड और अन्य आधारभूत सुविधाएं शामिल हैं. जिला मुख्यालयों को 15 लाख, तहसील स्तर पर 10 लाख और सब-तहसील स्तर पर 6.5 लाख रुपए खर्च करने की अनुमति दी गई है.
डिजिटल ट्रांजैक्शन और रिकॉर्डिंग को सहज बनाने के लिए सरकार ने 5 करोड़ रुपए का अलग बजट आईटी उपकरणों के लिए आवंटित किया है. इसमें कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, UPS, इंटरनेट कनेक्टिविटी, सर्वर और नेटवर्किंग सिस्टम खरीदे जाएंगे. जिलों में तहसील की संख्या के अनुसार बजट का आवंटन होगा — 4 से कम तहसीलों वाले जिलों को 14 लाख, 4–8 के बीच वाले जिलों को 21 लाख और 8 से अधिक तहसीलों वाले जिलों को 28 लाख रुपए दिए जाएंगे.
योजना के अंतर्गत कॉन्ट्रैक्ट आधार पर स्टाफ की नियुक्ति भी की जाएगी. इसके तहत वकीलों को 40,000 रुपए, पटवारियों को 35,000 रुपए और डीड राइटर या डाटा एंट्री ऑपरेटर को 18,000 रुपए प्रति माह का मानदेय मिलेगा.
यह योजना एक प्रकार से पंजाब की रजिस्ट्री प्रणाली में तकनीकी और प्रशासनिक सुधार की शुरुआत है, जो आम लोगों को कागजी झंझटों और दलालों से मुक्ति दिलाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है.
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