जून की शुरुआत में जब बाकी देश मानसून और गर्मी से जूझ रहा है, मणिपुर में हालात एक बार फिर आग की तरफ झुलसने लगे हैं. राजधानी इंफाल की सड़कों पर शनिवार रात एक दिल दहला देने वाला नजारा सामने आया, कुछ युवा काले कपड़ों में, हाथों में पेट्रोल की बोतलें, और ललकारते हुए, 'हमने हथियार छोड़ दिए थे, बाढ़ में लोगों की मदद की थी… अब अगर हमें ही जेल भेजोगे, तो हम खुद को जला देंगे!' ये दृश्य सामने आया है अरंबाई तेंगगोल (Arambai Tenggol – AT) के प्रमुख नेता कनन सिंह की गिरफ्तारी के बाद, जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया है.
कनन सिंह वही व्यक्ति हैं जिन पर फरवरी 2024 में एएसपी मोइरांगथेम अमित के घर पर हमले और उसके बाद उनके अपहरण का आरोप है। उस वक्त कनन मणिपुर पुलिस के कमांडो यूनिट में हेड कांस्टेबल के तौर पर तैनात थे, लेकिन 'कर्तव्य में लापरवाही' के आरोप में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने अरंबाई तेंगगोल जॉइन कर लिया.
गिरफ्तारी के बाद इंफाल में हालात बेकाबू हो गए. टायर जलाए गए, सड़कें ब्लॉक कर दी गईं और गोलियों की आवाज़ की भी खबरें आईं. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि जब उन्होंने सरकार के कहने पर हथियार सौंप दिए थे और बाढ़ राहत कार्यों में हिस्सा लिया था, तो अब उनके खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई क्यों हो रही है? इंफाल ईस्ट, वेस्ट, बिष्णुपुर, थौबल और ककचिंग जिलों में पांच दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है और कर्फ्यू लागू है.
AT के विरोध में ही नहीं, बल्कि कूकी समुदाय में भी उबाल है. मोरेह इलाके से कूकी नेशनल आर्मी (KNA) से जुड़े एक संदिग्ध नेता कमगिंगथांग गंगटे की गिरफ्तारी के बाद कूकी आदिवासियों ने भी प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उन पर अक्टूबर 2023 में एक मणिपुर पुलिस अफसर की स्नाइपर राइफल से हत्या का आरोप है.
चाहे वो 'विलेज वॉलंटियर' के नाम पर हथियार उठाने वाले मेइती युवक हों या कूकी गांवों के रक्षक, दोनों तरफ AK-47, M4 राइफलें, स्नाइपर, ड्रोन और मोर्टार जैसे युद्ध हथियार इस्तेमाल किए गए। दोनों समुदायों के संगठन SoO (Suspension of Operations) समझौते से जुड़े हैं, लेकिन उन पर नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं।
अब सवाल ये है कि क्या सरकारें दोनों पक्षों से एक जैसी सख्ती से पेश आ रही हैं? जब एक तरफ कनन सिंह जैसे लोगों की गिरफ्तारी होती है तो दूसरी तरफ कमगिंगथांग जैसे लोगों को भी सुरक्षा मिलती रही है।
अब तक मणिपुर हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 50,000 से ज्यादा लोग अपने ही घर से बेघर हो चुके हैं. लेकिन जो सवाल सबसे बड़ा है – क्या ये अंत है, या ये सिर्फ एक और आग की शुरुआत?
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