Delhi MLA iPhone: दिल्ली विधानसभा में इस बार मानसून सत्र एक नए रूप में नजर आया। सभी 70 विधायकों को iPhone 16 Pro और टैबलेट्स दिए गए ताकि कामकाज पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस हो सके। इस पहल का हिस्सा मुख्यमंत्री, मंत्री और विपक्ष के नेता भी हैं। यह बदलाव केंद्र सरकार की ‘वन नेशन, वन एप्लिकेशन’ योजना के तहत लाया गया है, जिसे NeVA (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) कहा जाता है। इस सिस्टम से विधानसभा की सारी फाइलें, दस्तावेज, चर्चा और वोटिंग अब डिजिटल माध्यम से होंगी।
विधायकों को पिछले महीने ही इस नई प्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया था। इस नई तकनीक में कई आधुनिक सुविधाएं भी हैं, जैसे — RFID और NFC एक्सेस, रीयल-टाइम डॉक्यूमेंट देखने की सुविधा, HD कैमरे, कई भाषाओं में सपोर्ट, और स्मार्ट वोटिंग पैनल। इसके साथ ही दिल्ली विधानसभा अब पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली विधानसभा बन गई है। हाल ही में यहां 500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाया गया है।
लेकिन इस फैसले के बाद राजनीति में हलचल मच गई है। सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के मोबाइल फोन खरीदने की अधिकतम सीमा भी बढ़ा दी है। अब मंत्री ₹1.5 लाख तक का और विधायक ₹1.25 लाख तक का मोबाइल ले सकते हैं। यह सीमा 12 साल बाद बदली गई, पहले यह सीमा सिर्फ ₹50,000 थी।
विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस फैसले का विरोध किया और कहा कि यह जनता के पैसों की बर्बादी है। उनका कहना है कि जनता महंगाई से जूझ रही है और विधायक महंगे मोबाइल ले रहे हैं। वहीं, आप सरकार का कहना है कि यह बदलाव पारदर्शिता और डिजिटल कामकाज को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
जनता की भी इस मुद्दे पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोगों ने इसे डिजिटल भारत की दिशा में सही कदम बताया, जबकि कई लोगों का मानना है कि सरकार को इस पैसे का इस्तेमाल जरूरी कामों पर करना चाहिए था, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य या बुनियादी सुविधाएं।
इस पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि तकनीक को लेकर भले ही पहल की गई हो, लेकिन आम जनता और विपक्ष की नजर में यह फैसला खर्चीला और गैर-जरूरी लगता है।
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