बाजार में चाहे कितने भी ब्रांडेड अचार क्यों न मिल जाएं- हर स्वाद, हर फ्लेवर और हर पैकिंग के साथ. फिर भी उनमें वो आत्मा नहीं होती, जो घर में बने अचार में बसती है. क्योंकि घर का अचार सिर्फ मसालों का मिश्रण नहीं होता, बल्कि उसमें घुली होती है दादी की ममता, मां की परंपरागत समझ और पीढ़ियों से संजोई गई देसी रसोई की खुशबू.
जब दादी अचार बनाती थीं, तो हर मसाले को हाथ से भूना जाता था, हर टुकड़ा धूप में सुखाया जाता था और हर बोतल में सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि अपनापन भर दिया जाता था. वो तेल की महक, मसालों का संतुलन और हर निवाले में घर की यादें- ये सब कुछ है जो बाजार के पैक्ड अचार कभी नहीं दे सकते.
कौन से आम से बनेगा परफेक्ट अचार?
अचार बनाने की शुरुआत होती है सही आम चुनने से.
हमेशा कच्चे और जाली वाले आम लें. मुलायम या आधे पके आम से परहेज करें. गुठली सख्त होनी चाहिए, तभी अचार टिकेगा सालों तक.
आम को धोकर 4 टुकड़ों में काटें. हल्दी और नमक लगाकर 1 दिन धूप में रखें. पके हुए आम को छांट दें.
इससे आम की नमी निकल जाती है और अचार जल्दी खराब नहीं होता.
सौंफ (अधिक मात्रा में). धनिया. मेथी दाना. पीली सरसों. कलौंजी. राई. 8-9 लौंग.
सारे मसालों को हल्का सा ड्राई रोस्ट कर लें और फिर दरदरा पीस लें. मसाले की मात्रा आम के वजन के हिसाब से तय करें.
पिसे मसालों में हल्दी, नमक और लाल मिर्च मिलाएं. सरसों का तेल गर्म करके ठंडा करें और उसमें मिलाएं. आम और मसाले को हाथ से अच्छे से मिलाएं. कांच की बरनी में थोड़ा तेल पहले डालें ताकि कोटिंग हो जाए. अचार डालकर 1 दिन धूप में रखें. फिर ऊपर से गरम कर ठंडा किया हुआ सरसों का तेल डालें.
हमेशा सूखी कांच की जार इस्तेमाल करें गीले चम्मच या हाथों से अचार न निकालें धूप में रखने के वक्त ढक्कन की जगह सूती कपड़ा बांधें गर्मी के मौसम में 4-5 दिन की धूप ही काफी होती है.
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