शादी हर व्यक्ति की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. लोग अपने-अपने धर्म और परंपराओं के अनुसार विवाह करते हैं. जहां एक ओर शादी सामाजिक और धार्मिक रूप से मान्य होती है, वहीं दूसरी ओर मैरिज सर्टिफिकेट इसे कानूनी पहचान देता है. दुर्भाग्य से अब भी बहुत से लोग इस औपचारिकता को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यह दस्तावेज आगे चलकर कई मामलों में बेहद उपयोगी साबित होता है.
मैरिज सर्टिफिकेट आपके रिश्ते को सिर्फ सामाजिक ही नहीं, बल्कि कानूनी मान्यता भी देता है. इसके बिना कई महत्वपूर्ण काम अधूरे रह सकते हैं.
पासपोर्ट और वीज़ा आवेदन के लिए यह जरूरी दस्तावेज है. बैंक खाते, बीमा और प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों में यह काम आता है. पति-पत्नी के बीच कानूनी मामलों, तलाक या भरण-पोषण जैसी स्थितियों में यह एक मजबूत सबूत होता है. महिला के अधिकारों की रक्षा करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है.
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और विदेश यात्रा करने जैसे मौकों पर भी यह एक वैध पहचान प्रमाण की तरह काम करता है.
शादी का सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कुछ मूलभूत दस्तावेज जमा करने होते हैं. इनमें शामिल हैं:
दूल्हा-दुल्हन की उम्र का प्रमाण (जन्म प्रमाण पत्र या शैक्षणिक प्रमाणपत्र). पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि. शादी की तस्वीरें और आमंत्रण पत्र (यदि उपलब्ध हो). शादी में शामिल गवाहों की पहचान और हस्ताक्षर.
ये सभी कागजात यह साबित करने के लिए जरूरी हैं कि विवाह विधिवत रूप से हुआ है.
मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको अपने क्षेत्र के मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस में आवेदन करना होता है. अब कई राज्यों में ऑनलाइन आवेदन की भी सुविधा उपलब्ध है, जिससे यह प्रक्रिया और आसान हो गई है.
1. आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें.
2. निर्धारित शुल्क जमा करें.
3. दूल्हा-दुल्हन और गवाहों की मौजूदगी में दस्तावेजों की जांच की जाती है.
4. सत्यापन के बाद रजिस्टर्ड मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है.
यह पूरी प्रक्रिया सामान्यतः कुछ हफ्तों में पूरी हो जाती है.
मैरिज सर्टिफिकेट सिर्फ एक औपचारिक कागज नहीं, बल्कि आपकी शादी की कानूनी पहचान है. यह भविष्य में आपके अधिकारों और जिम्मेदारियों की रक्षा करता है. इसलिए हर दंपति को शादी के बाद इसे जरूर बनवाना चाहिए.
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