भारतीय बाजारों में इन दिनों A2 लेबल वाले घी और डेयरी उत्पादों की जबरदस्त मांग देखी जा रही है. खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसे एक सुपरफूड की तरह प्रमोट किया जा रहा है. कंपनियों का दावा है कि A2 घी देसी गायों के दूध से बनता है, जिसमें A2 बीटा-कैसीन प्रोटीन होता है. उनका कहना है कि यह प्रोटीन A1 की तुलना में पचाने में आसान है और सूजन को कम करता है. साथ ही इसमें ओमेगा-3, CLA, विटामिन A, D, E और K जैसे तत्व होने का दावा भी किया जाता है.
दूध में बीटा-कैसीन नामक प्रोटीन पाया जाता है, जिसके दो प्रकार हैं A1 और A2.
1 A1: यूरोपीय नस्ल की गायों में पाया जाता है
2 A2: भारतीय देसी नस्ल की गायों में प्राकृतिक रूप से होता है
हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय इस दावे पर एकमत नहीं है कि A2 प्रोटीन A1 की तुलना में स्वास्थ्य के लिए बेहतर है.
नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ (NAAS) की रिपोर्ट के अनुसार A2 घी को लेकर अभी कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है. कुछ स्टडीज इसे पचाने में आसान मानती हैं, लेकिन व्यापक स्तर पर शोध की कमी है.
अमूल के पूर्व MD आर.एस. सोढी A2 घी को "सिर्फ़ एक मार्केटिंग स्टंट" बताते हैं. उनके अनुसार, सिर्फ़ A2 लेबल के नाम पर वही देसी घी 2 से 3 गुना कीमत पर बेचा जा रहा है. डॉ. विभूति रस्तोगी भी मानती हैं कि A2 घी को हेल्दी बताना भ्रामक है क्योंकि घी प्रोटीन का नहीं, वसा का स्रोत है.
FSSAI ने भी A1 और A2 लेबलिंग को लेकर कंपनियों को चेतावनी दी थी और इसे भ्रामक करार दिया था. हालांकि बाद में यह एडवाइजरी हटा ली गई, लेकिन सवाल बना रहा.
A2 घी का प्रचार भले ही इसे स्वास्थ्यवर्धक बताए, लेकिन वैज्ञानिक और पोषण विशेषज्ञ अभी भी इसे प्रमाणित नहीं मानते. घी का संतुलित सेवन लाभकारी हो सकता है, चाहे वह A1 हो या A2, लेकिन केवल लेबल देखकर इसे हेल्दी मान लेना समझदारी नहीं होगी.
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