झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. 81 वर्षीय सोरेन लंबे समय से बीमार चल रहे थे और पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे. उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दुखद समाचार की पुष्टि करते हुए कहा, 'आदरणीय दिशोम गुरु अब हमारे बीच नहीं रहे. आज मैं खुद को खाली महसूस कर रहा हूं.
शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति में जनआंदोलनों से उभरे एक ऐसे आदिवासी नेता थे, जिन्होंने न सिर्फ झारखंड राज्य के गठन के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, बल्कि उसे नेतृत्व भी दिया। तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री रह चुके सोरेन वर्तमान में राज्यसभा के सांसद भी थे.
शिबू सोरेन को जून के अंतिम सप्ताह में गुर्दे संबंधी समस्याओं के चलते दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसके बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
11 जनवरी 1944 को झारखंड के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। बचपन में ही उनके पिता की हत्या साहूकारों के गुर्गों ने कर दी थी, जिसने उनके भीतर सामाजिक न्याय की आग जलाई, 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने 'संथाल नवयुवक संघ' की स्थापना की और 1972 में एक प्रमुख आंदोलनकारी नेता ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' (JMM) की नींव रखी.
झारखंड राज्य की मांग को लेकर सोरेन दशकों तक संघर्ष करते रहे. उनकी अगुवाई में आदिवासी आंदोलनों ने राष्ट्रीय पहचान बनाई और वर्ष 2000 में झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया. शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति के प्रतीक बन चुके थे और पार्टी के अध्यक्ष पद पर अप्रैल 2025 तक बने रहे.
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. मार्च 2005 में पहली बार (सिर्फ 9 दिन), फिर अगस्त 2008 से जनवरी 2009 और दिसंबर 2009 से मई 2010 तक. हालांकि वे कभी भी पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सके क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता उनकी सरकारों को प्रभावित करती रही। केंद्र में वे तीन बार कोयला मंत्री रहे (2004-2006) और लोकसभा में छह बार सांसद के तौर पर प्रतिनिधित्व किया.
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा। 1975 के चिरूडीह हत्याकांड और 1994 में अपने निजी सचिव की हत्या के आरोपों में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। उन पर अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को निर्दोष बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि 'शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे जिन्होंने जन सेवा के क्षेत्र में दृढ़ संकल्प से काम किया। वे विशेष रूप से आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने को लेकर प्रतिबद्ध थे. उनके निधन से दुखी हूं. परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की. झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात कर शोक संवेदना प्रकट की. ॐ शांति.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'शिबू सोरेन जी झारखंड के उन ऊंचे कद के नेताओं में से एक थे जिन्होंने जीवन भर कमजोर वर्गों विशेषकर आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वे जमीन से जुड़े हुए नेता थे। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दुख जताते हुए कहा कि यह हम सभी के लिए बेहद दुखद समाचार है। हम उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं. हमारी प्रार्थनाएं उनके साथ हैं.