दिवाली के मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान ने नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा था कि “पूरी दुनिया में क्रिसमस पर शहर रोशनी से जगमगाते हैं, हमें उनसे सीखना चाहिए. दीए और मोमबत्तियों पर पैसा खर्च करने का क्या मतलब? सरकार को हटाना चाहिए, हम और सुंदर लाइट्स लगाएंगे.” इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने अखिलेश पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए जमकर हमला बोला है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बयान बेहद निंदनीय है. उन्होंने कहा, “दिवाली खुशियों और प्रकाश का त्योहार है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है. ऐसे बयान देना उनकी राजनीतिक हताशा और मानसिक दिवालियापन का प्रतीक है.”
बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने तीखा तंज कसते हुए कहा, “अखिलेश यादव बहुत जल्दी ‘गैंडियो की तरह ईसाई’ बनने जा रहे हैं. प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण को कोई आपत्ति नहीं, फिर इन्हें क्यों परेशानी है? हिंदू धर्म पर बोझ बहुत बढ़ गया है.” उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है.
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अखिलेश के बयान को एक्स (Twitter) पर रीपोस्ट करते हुए लिखा, “यह न केवल चौंकाने वाला बल्कि हमारे त्योहारों के प्रति असंवेदनशील रवैया दिखाता है.” उन्होंने आगे कहा, “दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है. दीए और मोमबत्तियां हमारी परंपरा और श्रद्धा का हिस्सा हैं. इन्हें ‘पैसे की बर्बादी’ कहना हिन्दू आस्था का अपमान है.”
मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, “अखिलेश यादव जैसा व्यक्ति ऐसा कैसे कह सकता है? उन्हें एंटनी या अकबर कहना चाहिए. दिवाली की पूजा और दीये जलाने का विरोध करना किसी भी भारतीय की सोच नहीं हो सकती.”
अखिलेश यादव के इस बयान ने त्योहारों और धर्म के बीच राजनीतिक बहस को फिर हवा दे दी है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि सपा प्रमुख के बयान से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है, जबकि सपा समर्थक इसे गलत ढंग से पेश किया गया बयान बता रहे हैं.