दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को है. इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में खुशहाली और समृद्धि का वास होता है. माता लक्ष्मी की कृपा से परिवार में आर्थिक तंगी दूर रहती है और जीवन सुख-शांति से भरपूर होता है.
दिवाली की रात लोग अपने घरों के दरवाजे खुले रखते हैं. इसका कारण यह है कि ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता और श्रद्धा देखती हैं, वहां वह वास करती हैं. इसलिए घर का स्वागत करने और माता को अंदर आने के लिए दरवाजे खुले रखे जाते हैं. साथ ही मान्यता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत करना शुभ माना जाता है.
कथा के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात माता लक्ष्मी भ्रमण पर निकलीं, लेकिन अंधकार के कारण रास्ता भटक गईं. उन्होंने रात को मृत्यु लोक में बिताने का निर्णय लिया, लेकिन जब वह घर-घर गईं, तो अधिकतर दरवाजे बंद मिले. केवल एक घर का दरवाजा खुला था और वहां दीपक जल रहा था.
माता लक्ष्मी उस दीपक की रोशनी की ओर गईं और देखा कि एक बुजुर्ग महिला अपने काम में लगी हुई थी. महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और आराम करने के लिए बिस्तर भी दिया. महिला काम में व्यस्त हो गई और नींद में चली गई. सुबह उठकर देखा कि घर महल में बदल चुका था और चारों ओर धन-दौलत, जेवर और हीरे बिखरे हुए थे. तब महिला को पता चला कि रात में आई अतिथि स्वयं माता लक्ष्मी थीं.
यही कथा इस दिन घर में दीपक जलाने और दरवाजा खुला रखने की परंपरा की शुरुआत बनी. तब से हर वर्ष दिवाली की रात लोग अपने घरों के दरवाजे खोलकर माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं. इस दिन घर को साफ-सुथरा और रोशन रखना भी शुभ माना जाता है.
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