पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक गांव खाई फेमे के रहने वाले 57 वर्षीय किसान लखविंदर सिंह की मंगलवार को लुधियाना में मौत हो गई। वे पाकिस्तान के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
यह घटना 9 मई को हुई जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन का मलबा उनके घर पर गिर गया था। उस हादसे में लखविंदर सिंह, उनकी पत्नी सुखविंदर कौर (50 वर्ष) और बेटा जसविंदर सिंह (24 वर्ष) तीनों झुलस गए थे।
हालत गंभीर होने के कारण उन्हें पहले फिरोजपुर अस्पताल और बाद में लुधियाना के दयानंद मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां 13 मई को उनकी पत्नी की मौत हो गई, और अब उनके पति लखविंदर सिंह की भी मौत हो गई।
बेटा जसविंदर, जो अब ठीक हो चुका है, पूरी तरह टूट गया है। उसने कहा, "पहले मेरी मां चली गई और अब पापा भी नहीं रहे। मैंने क्या गलती की थी? मेरे पास अब सिर्फ पांच एकड़ जमीन बची है और मैं खुद अभी पैर की चोट से जूझ रहा हूं। न ही प्रशासन मदद के लिए आया और न ही पापा का शव अभी तक मिला है।"
भारत ने 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" नाम से पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। ये हमले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब थे, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए और तीन दिन तक सीमा पर लगातार गोलीबारी और ड्रोन हमले किए।
10 मई को युद्धविराम समझौता होने से पहले पंजाब और पश्चिमी भारत के कई सीमावर्ती इलाकों में हमलों के कारण कई नागरिकों को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा।
यह कहानी उस त्रासदी को दर्शाती है, जिसमें आम नागरिक बिना किसी गलती के अपनी जान और परिवार खो देते हैं, और अक्सर उन्हें कोई सरकारी मदद या समर्थन भी नहीं मिल पाता।