महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को एक रैली में भाषाओं को लेकर चल रही बहस पर अपनी बात रखी। उन्होंने मराठी भाषा के सम्मान की बात करते हुए साफ किया कि अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने से किसी का मराठी प्रेम कम नहीं होता।
उन्होंने कहा कि लोग अक्सर यह तर्क देते हैं कि उनके (राज के) बच्चे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े हैं। इस पर राज ने जवाब दिया, “तो क्या हुआ?” उन्होंने उदाहरण दिया कि दादा भूसे मराठी स्कूल में पढ़े और मंत्री बने, जबकि देवेंद्र फडणवीस अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़े और मुख्यमंत्री बने।
राज ठाकरे ने अपने चाचा बालासाहेब ठाकरे और पिता श्रीकांत ठाकरे का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि ये दोनों भी अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़े थे, लेकिन उनका मराठी भाषा और संस्कृति से प्रेम कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने सवाल किया, "क्या कोई उनके मराठी प्रेम पर शक कर सकता है?"
उन्होंने मज़ाक में कहा, "कल मैं हिब्रू भाषा भी सीख लूं, तो क्या इससे मेरा मराठी गौरव खत्म हो जाएगा?" उन्होंने कहा कि मराठी और अंग्रेजी शिक्षा को जोड़कर देखने की सोच गलत है।
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को महाराष्ट्र में मराठी बोलनी आनी चाहिए, लेकिन अगर कोई नहीं जानता तो उसे मारना-पीटना सही नहीं है। उन्होंने कहा, "अगर कोई जानबूझकर ड्रामा करता है, तो उसे एक थप्पड़ मार दो, लेकिन उसका वीडियो मत बनाओ। उस व्यक्ति को समझाओ, पूरे देश को दिखाने की जरूरत नहीं है।"
यह बयान मुंबई के वर्ली में एक रैली के दौरान आया, जहां राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर साथ दिखाई दिए। यह दोनों भाइयों का राजनीतिक मेल-जोल का संकेत भी माना जा रहा है।
बता दें कि अप्रैल 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य की थी, जिसे विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था। इस फैसले ने भाषा को लेकर बहस को और तेज़ कर दिया था। उसी बहस के संदर्भ में राज ठाकरे का यह बयान सामने आया है।
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