थाईलैंड से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 8 साल का बच्चा कुत्तों के झुंड के बीच पल रहा था. जब अधिकारियों ने उसे रेस्क्यू किया, तो पाया कि वह न तो इंसानों की तरह बोल सकता है और न ही उनके जैसा व्यवहार करता है. उसकी संवाद शैली पूरी तरह कुत्तों जैसी हो गई थी. वह भौंककर अपनी बात समझाने की कोशिश करता था.
इस विचित्र घटना की तुलना तुरंत रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध कहानी 'द जंगल बुक' के मोगली से की जाने लगी, जिसमें एक बच्चा भेड़ियों के साथ जंगल में पलता है. लेकिन इस बार कहानी काल्पनिक नहीं, बल्कि हकीकत है. घटना थाईलैंड के लापले जिले की है, जहां इस बच्चे को 30 जून को बेहद खराब हालात में रेस्क्यू किया गया.
स्थानीय लोगों और स्कूल प्रिंसिपल की शिकायत के बाद, बच्चों और महिलाओं के लिए काम करने वाले होंगसाकुल फाउंडेशन की अध्यक्ष पाविना होंगसाकुल के नेतृत्व में एक टीम ने मौके पर जाकर बच्चे को निकाला. पाविना ने बताया, "जब हमने उसे पहली बार देखा, तो वह सिर्फ कुत्तों की तरह भौंक रहा था. किसी इंसानी बच्चे को इस हालत में देखना बेहद दर्दनाक था."
बच्चे की मां और बड़ा भाई दोनों ही ड्रग्स के आदी हैं. पड़ोसियों ने बताया कि मां अक्सर बच्चे को 6 कुत्तों के साथ छोड़कर चली जाती थी और हफ्तों तक लौटती नहीं थी. जब किसी ने मदद करने की कोशिश की, तो मां ने उल्टे उन पर आरोप लगाए और किसी को भी बच्चे के पास नहीं आने दिया.
सरकारी स्कीम के तहत बच्चे की पढ़ाई के लिए मां को पैसे भी मिले थे, लेकिन उनका इस्तेमाल नशे के लिए किया गया. बच्चा कभी स्कूल नहीं गया. एक बार केवल दिखावे के लिए उसे स्कूल भेजा गया था, ताकि स्कीम का लाभ मिल सके.
अब बच्चे को फाउंडेशन में रखा गया है, जहां उसकी देखभाल, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा रहा है. पाविना ने कहा, "हम सब मिलकर उसे एक नई और बेहतर जिंदगी देने की कोशिश करेंगे."
यह मामला न सिर्फ एक दुखद हकीकत उजागर करता है, बल्कि समाज और सरकार को इस तरह के बच्चों के लिए और भी सजग होने की जरूरत बताता है.