पंजाब में पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध होने के बावजूद किसान लगातार नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। पिछले पाँच दिनों में राज्य के अलग-अलग जिलों से पराली जलाने की कम से कम 47 घटनाएँ सामने आई हैं। इनमें सबसे ज़्यादा मामले अमृतसर से आए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार शाम तक अमृतसर में 32 मामले, पटियाला में 6, तरनतारन में 5 और संगरूर, होशियारपुर, फिरोजपुर तथा बठिंडा से एक-एक मामला दर्ज हुआ है।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने दोषी किसानों पर कुल 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, लेकिन किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया। यह आंकड़े पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना) के रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जुटाए हैं। सेंटर ने 15 सितंबर से रिकॉर्ड बनाना शुरू किया है और यह 30 नवंबर तक चलेगा।
यह घटनाएँ ऐसे समय में सामने आई हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल किया है कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा। कोर्ट ने कहा कि सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली है।
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तीन हफ्तों में ठोस कदम उठाने को कहा है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल आई भारी बाढ़ के कारण खेतों में फसल की कटाई में देर हुई है। धान की करीब 2 लाख एकड़ फसल बाढ़ से खराब हो चुकी है। अब किसानों के पास गेहूँ बोने के लिए खेत तैयार करने का बहुत कम समय बचा है। इस वजह से दिवाली तक पराली जलाने के मामले और बढ़ सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने पराली प्रबंधन की योजना पहले से नहीं बनाई, जबकि यह इस मौसम का सबसे बड़ा मुद्दा है।
वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि उनका पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पराली जलाने से पंजाब को ज़्यादा नुकसान होता है, लेकिन सरकारों ने इसे उद्योग बना दिया है। कंपनियाँ एंटी-स्मॉग गन और एयर प्यूरीफायर बेचकर पैसा कमा रही हैं।
उन्होंने दोहराया कि किसानों को पराली के अवशेष पर 300 रुपये प्रति क्विंटल का मुआवज़ा मिलना चाहिए। पराली प्रबंधन मशीनें सब्सिडी के बाद भी महँगी पड़ती हैं और छोटे किसानों के लिए यह संभव नहीं है।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने अदालत से गुज़ारिश की है कि वह अपने 2019 के आदेश को लागू करवाए, जिसमें सरकार को प्रोत्साहन राशि देने और पराली प्रबंधन मशीनें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।
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