कंबोडिया और थाईलैंड के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक संघर्ष में बदल गया है. गुरुवार को डांगरेक पर्वत श्रृंखला में स्थित ता मुएन थोम मंदिर के पास दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं, जिसमें अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं. यह संघर्ष 900 साल पुराने शिव मंदिरों के स्वामित्व और सीमांकन को लेकर जारी विवाद का ताजा अध्याय है, जो वर्षों से क्षेत्रीय तनाव का कारण बना हुआ है.
जहां एक ओर अंकोरवाट जैसे प्रसिद्ध मंदिर पर्यटकों का ध्यान खींचते हैं, वहीं प्राचीन शिव मंदिरों का यह समूह, प्रेह विहियर से लेकर ता मुएन थोम तक दोनों देशों की राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा हुआ है. इसी वजह से यह संघर्ष केवल सीमा का नहीं, बल्कि विरासत और संप्रभुता का भी बन चुका है.
गुरुवार तड़के थाईलैंड के सुरिन प्रांत में स्थित ता मुएन थोम मंदिर के पास संघर्ष की शुरुआत हुई। थाई सेना का दावा है कि कंबोडियाई सैनिकों ने ड्रोन के ज़रिए उनके सैन्य ठिकानों की निगरानी शुरू की, जिसके बाद जब थाई सैनिकों ने स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की, तो फायरिंग शुरू हो गई। सुबह 8:20 बजे तक दोनों ओर से भारी गोलीबारी हो रही थी.
थाईलैंड का आरोप है कि कंबोडिया की सेना रॉकेट लॉन्चर (RPG) जैसे हथियारों से लैस थी और उन्होंने पहले हमला किया. वहीं कंबोडिया का कहना है कि थाईलैंड ने उसकी संप्रभुता का उल्लंघन किया. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए थाईलैंड ने खतरे के स्तर को 'लेवल 4' घोषित कर दिया है और सीमावर्ती सभी चेकपोस्ट बंद कर दिए गए हैं. अब तक 86 गांवों से लगभग 40,000 थाई नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है.
900 साल पुराने प्रेह विहियर मंदिर को लेकर विवाद की जड़ें औपनिवेशिक काल की सीमा रेखाओं में हैं. 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया की सम्पत्ति बताया और थाईलैंड को अपने सैनिक हटाने और मंदिर से ले जाए गए वस्तुओं को लौटाने का आदेश दिया. यह फैसला 1907 में फ्रांस द्वारा बनाए गए नक्शे पर आधारित था, जिसमें यह मंदिर कंबोडिया की सीमा में दिखाया गया था. थाईलैंड ने शुरू में इस नक्शे को स्वीकार किया था, लेकिन बाद में उसने यह कहकर इनकार किया कि उसे गलतफहमी थी कि सीमा प्राकृतिक जल विभाजक रेखा पर आधारित होगी.
ता मुएन थोम मंदिर, जो डांगरेक पहाड़ियों की घनी वनों में स्थित है, इस संघर्ष का नया केंद्र बन गया है. 12वीं सदी में निर्मित यह मंदिर शिव को समर्पित है और इसकी विशेषता यह है कि इसका गर्भगृह दक्षिण की ओर मुख करता है, जो खमेर वास्तुकला में दुर्लभ है. मंदिर में स्थित प्राकृतिक शिवलिंग आज भी पूजनीय है. फरवरी में इसी मंदिर में कंबोडियाई सैनिकों द्वारा राष्ट्रगान गाए जाने के बाद तनाव बढ़ा था. उस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था.
1863 में जब कंबोडिया फ्रांसीसी संरक्षण में आया, तब फ्रांस और सियाम (वर्तमान थाईलैंड) के बीच 1904 से 1907 के बीच कई संधियां हुईं, जिनके तहत सीमाएं निर्धारित की गईं. फ्रांसीसी मानचित्रकारों ने जल विभाजक रेखाओं के आधार पर नक्शे बनाए लेकिन सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों के मामले में अपवाद भी रखा, जैसे कि प्रेह विहियर, 2008 में जब कंबोडिया ने इस मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित करवाया, तो थाईलैंड में इसका भारी विरोध हुआ. उस समय के थाई विदेश मंत्री नोप्पादोन पट्टामा को इस्तीफा देना पड़ा और सीमा पर सैनिक झड़पें शुरू हो गईं.
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