कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को बीजेपी की कार्यशैली पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीजेपी का दृष्टिकोण उनके लिए कठोर प्रतीत होता है, जबकि कांग्रेस पार्टी में निर्णय प्रक्रिया अधिक लचीली और परामर्शमूलक होती थी.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीतिक अनुभव प्राप्त किया. 2021 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी, यह कहते हुए कि पार्टी के नेतृत्व—सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के आचरण से वे आहत थे. इसके बाद उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस (PLC) बनाई, जो 2022 में बीजेपी में विलय कर दी गई.
पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव 2027 के मद्देनजर अमरिंदर सिंह का यह बयान राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उन्होंने कहा, "पंजाब का राजनीतिक परिदृश्य अलग है. देश के कई हिस्सों में बीजेपी आगे बढ़ रही है, लेकिन पंजाब में क्यों नहीं? पिछली बार देखें तो सीटें बहुत कम मिलीं."
बीजेपी की रणनीति को लेकर अमरिंदर सिंह ने विस्तार से कहा, "बीजेपी उन लोगों से सलाह नहीं लेती जो मैदान में लंबे समय तक रहे हैं और जानते हैं कि जनता क्या चाहती है. निर्णय ऊपरी स्तर पर लिए जाते हैं. कांग्रेस में भी निर्णय शीर्ष स्तर पर होते थे, लेकिन वहां विधायकों और सांसदों से सलाह ली जाती थी. मुझे नहीं लगता कि बीजेपी में किसी ने मुझसे सलाह ली है."
अमरिंदर सिंह के ताजा बयान ने पंजाब की सियासी हलकों में कांग्रेस में उनकी संभावित वापसी की चर्चाओं को हवा दे दी है. हालांकि उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से नकारते हुए कहा, "मुझे कांग्रेस की याद नहीं आती, लेकिन वहां की व्यवस्था और परामर्श प्रक्रिया याद आती है. कांग्रेस में अनुभव और राय को महत्व दिया जाता था, जबकि बीजेपी में यह कमी है. उनका दृष्टिकोण कठोर है और इसमें लचीलापन नहीं है."
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अमरिंदर सिंह की टिप्पणी बीजेपी के लिए चेतावनी स्वरूप हो सकती है, खासकर तब जब पार्टी पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. अमरिंदर का कहना है कि राजनीतिक निर्णयों में स्थानीय नेताओं और अनुभवी कार्यकर्ताओं की राय को शामिल करना आवश्यक है, ताकि पार्टी का प्रभावी प्रदर्शन हो सके.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस की कार्यशैली लचीली और अनुभवमूलक थी, जबकि बीजेपी का दृष्टिकोण कठोर और केंद्रीयकृत है. पंजाब में आगामी चुनावों के दृष्टिगत उनके बयान से पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत महसूस हो सकती है. साथ ही, यह बयान राज्य की राजनीतिक रणनीति और नेतृत्व शैली पर भी चर्चा को बढ़ावा दे रहा है.
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