दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो चुकी है और हालात चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं. राजधानी में वायु प्रदूषण अपने चरम पर है, जिससे आम लोगों की सेहत और रोजमर्रा की ज़िंदगी दोनों पर गंभीर असर पड़ रहा है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 13 दिसंबर की सुबह तत्काल प्रभाव से GRAP-3 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू कर दिया. उस वक्त दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 700 से 800 के बीच दर्ज किया गया, जो “बेहद गंभीर” श्रेणी में आता है.
CAQM के मुताबिक, दिल्ली-NCR में लगातार बिगड़ती हवा और AQI के बार-बार 400 के पार जाने ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया. GRAP-3 के तहत उन सभी गतिविधियों पर रोक लगाई गई है, जो प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. इसमें गैर-जरूरी निर्माण और विध्वंस कार्य, कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री का परिवहन, पत्थर तोड़ने की मशीनें, ईंट भट्टे, खनन गतिविधियां और डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध शामिल है. इसके अलावा, गैर-आवश्यक वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण और औद्योगिक इकाइयों के उत्सर्जन पर कड़ी निगरानी भी की जा रही है.
हालांकि, जरूरी सेवाओं को पूरी तरह बंद नहीं किया गया है. मेट्रो, रेलवे, हवाई अड्डा, राष्ट्रीय राजमार्ग, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छता से जुड़ी परियोजनाओं को सशर्त छूट दी गई है. साथ ही, विकलांगों के लिए विशेष वाहनों को राहत मिली है. बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए कक्षा 5 तक हाइब्रिड मोड में पढ़ाई की अनुमति दी गई है और लोगों को निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन अपनाने की अपील की गई है.
शनिवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में घनी धुंध छाई रही, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, 21 निगरानी स्टेशनों पर AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया. वजीरपुर में AQI 445, विवेक विहार में 444, जहांगीरपुरी में 442, आनंद विहार में 439 और अशोक विहार व रोहिणी में 437 रिकॉर्ड किया गया. नरेला, पटपड़गंज, मुंडका, बवाना, आईटीओ और नेहरू नगर जैसे इलाकों में भी हालात बेहद खराब रहे.
विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए एक नहीं, बल्कि कई कारण जिम्मेदार हैं. पश्चिमी राज्यों में पराली जलाने से उठने वाला धुआं हवा के जरिए दिल्ली-NCR तक पहुंचता है. इसके अलावा, कम हवा की रफ्तार, बढ़ती गाड़ियों की संख्या, लगातार चल रहे निर्माण कार्य और औद्योगिक उत्सर्जन स्थिति को और बिगाड़ देते हैं. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम का पैटर्न बदल गया है मानसून का समय, बारिश की अवधि और सर्दी का स्वरूप सब कुछ असामान्य हो गया है, जिसका सीधा असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है.
विशेषज्ञों और प्रशासन दोनों का मानना है कि जब तक सख्ती से नियम लागू नहीं किए जाते और लोगों की भागीदारी नहीं बढ़ती, तब तक प्रदूषण पर काबू पाना मुश्किल है. GRAP-3 एक तात्कालिक कदम है, लेकिन लंबे समय के समाधान के लिए स्थायी नीतियों और जन जागरूकता की सख्त जरूरत है.
Copyright © 2025 The Samachaar
