गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देशभर में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़ी 50 से ज्यादा कंपनियों और 25 लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। ये कार्रवाई एक बड़े कर्ज धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) की जांच के सिलसिले में हुई।
ईडी की ये जांच CBI की दो FIR पर आधारित है, जो सितंबर 2022 में दर्ज हुई थीं।
ये FIR यस बैंक द्वारा रिलायंस ग्रुप की दो कंपनियों – रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) को दिए गए हजारों करोड़ रुपये के कर्ज से जुड़ी हैं।
आरोप है कि ये कर्ज धोखाधड़ी से लिए गए और बाद में दूसरी जगह भेज दिए गए।
जांच में पता चला है कि बैंक अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी ताकि कर्ज पास हो सके।
खास तौर पर यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर पर नजर है।
ईडी को संदेह है कि 2017 से 2019 के बीच करीब ₹3,000 करोड़ के लोन को गलत तरीके से डायवर्ट किया गया।
फर्जी कंपनियों के जरिए कर्ज का हेरफेर
ईडी को छानबीन में ये बातें भी पता चलीं:
कर्ज देने में कई नियमों का उल्लंघन हुआ।
फर्जी या कमजोर कंपनियों को लोन दिया गया।
कई कंपनियों का एक जैसा पता और निदेशक था।
कई मामलों में तो लोन आवेदन करने से पहले ही दे दिया गया।
कंपनियों ने अपने आर्थिक आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया।
जैसे ही छापेमारी की खबर आई, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों में 5% तक की गिरावट आ गई।
रिलायंस ग्रुप की कंपनियों ने सफाई में कहा: "ये आरोप 10 साल पुराने लेन-देन से जुड़े हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) दिवालिया प्रक्रिया में है और RHFL का मामला कोर्ट में पूरी तरह सुलझ चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स में जिन बातों का जिक्र है, वे अभी भी न्यायालय में विचाराधीन हैं।"
ईडी को शक है कि अनिल अंबानी की कंपनियों ने बैंकों से मिले कर्ज का दुरुपयोग किया और पैसे इधर-उधर किए। इसी की जांच में देशभर में छापेमारी की गई। मामला अब कई सरकारी एजेंसियों की निगरानी में है।
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