35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में हड्डियों की मजबूती धीरे-धीरे कम होने लगती है. इसे अक्सर लोग सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि ये लापरवाही भविष्य में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है. ABP से बातचीत के दौरान डॉ. शालिनी सिंह का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ हार्मोनल बदलाव और जीवनशैली से जुड़े कारण हड्डियों की सेहत पर सीधा असर डालते हैं.
महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी की सबसे बड़ी वजह एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी है. ये हार्मोन हड्डियों की डेंसिटी बनाए रखने में मदद करता है. 35 साल की उम्र के बाद एस्ट्रोजन का लेवल कम होने लगता है, जिससे कैल्शियम का नुकसान बढ़ जाता है और हड्डियां आसानी से कमजोर हो जाती हैं. यही वजह है कि इस उम्र के बाद फ्रैक्चर का खतरा ज्यादा होता है.
हड्डियों की मजबूती के लिए सबसे अहम भूमिका कैल्शियम और विटामीन डी निभाते हैं.
दूध, दही, पनीर और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद है. सुबह की धूप में कम से कम 10 मिनट टहलना शरीर को विटामीन डी प्रदान करता है.
इन पोषक तत्वों को डाइट में शामिल करने से हड्डियों की मजबूती लंबे समय तक बनी रहती है.
सिर्फ भोजन से ही नहीं, बल्कि नियमित शारीरिक गतिविधियों से भी हड्डियां मजबूत बनती हैं.
हल्की-फुल्की वेट एक्सरसाइज, टहलना और योगा करना भी शरीर के लिए जरूरी है.
ये सभी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक हैं. साथ ही, ये एक्सरसाइज गिरने से होने वाले फ्रैक्चर की संभावना को भी कम करती हैं.
मजबूत हड्डियों के लिए कुछ खराब आदतों को छोड़ना जरूरी है, जैसे किृी- धूम्रपान और शराब का सेवन हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए इनसे दूरी बनाएं. संतुलित और पौष्टिक आहार का पालन करें. नियमित हेल्थ चेकअप कराते रहें ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके. 35 साल के बाद हड्डियों की कमजोरी भले ही आम समस्या हो, लेकिन यह अटल नहीं है. सही आहार, नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाकर महिलाएं अपनी हड्डियों को लंबे समय तक मजबूत और स्वस्थ रख सकती हैं.