Kantara Chapter 1 Review: बॉलीवुड को शर्मसार करने वाली फिल्म या सिर्फ हाइप? जानिए सच्चाई!

Kantara Chapter 1 review: ‘कांतारा चैप्टर 1’ का पूरा रिव्यू पढ़ें. जानें कहानी, एक्टिंग, म्यूजिक और क्लाइमैक्स की खास बातें. क्या बॉलीवुड सच में शर्मसार है? थिएटर में देखने लायक फिल्म है या नहीं, जानें.

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बॉलीवुड अक्सर दक्षिण भारतीय फिल्मों के सामने कमतर दिखता है, ऐसा कई हेडलाइन्स में पढ़ने को मिलता है. लेकिन क्या सच में ऐसा है? ‘कांतारा चैप्टर 1’ इस विचार को चुनौती देती है. फिल्म के विजुअल्स और एक्शन सीन इतने दमदार हैं कि थिएटर में ही देखना जरूरी है. हालांकि, फिल्म में कुछ कमियां भी हैं, जो इसे परफेक्ट मास्टरपीस बनने से रोकती हैं.

फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी पहले भाग से सीधे जुड़ी है. बांगडा किंग्डम और कांतारा के लोगों के बीच संघर्ष को दिखाया गया है. बांगड़ा का राजा कांतारा पर कब्जा करना चाहता है, लेकिन इसके पीछे एक खास वजह है. कैसे कांतारा के लोग बांगड़ा पहुंचते हैं, और वहां क्या घटनाएं घटित होती हैं, इसका अनुभव आप केवल थिएटर में जाकर ही पूरी तरह समझ पाएंगे.

फिल्म का अनुभव

फिल्म का पहला हाफ अच्छा है और इंटरवल से पहले वाला सीन दर्शकों को बांधकर रखता है. दूसरा हाफ बेहद जोरदार है. कहानी का फ्लो कई बार टूटता है और कुछ सीन गैर-जरूरी लगते हैं. बावजूद इसके, बीच-बीच में आए विजुअल्स और एक्शन ऐसे हैं जो पहले वाले हल्के सीन पर भारी पड़ जाते हैं. क्लाइमैक्स जबरदस्त है और स्पेशल इफेक्ट्स ने इसे और रोमांचक बना दिया है. पहले वाले पार्ट की तुलना में ये हिस्सा ग्राफिक्स और एक्शन के हिसाब से और बेहतर है.

एक्टिंग

ऋषभ शेट्टी ने अपने अभिनय से कमाल कर दिया है. उनका किरदार बेहद पावरफुल है और फिल्म की कमियों को छिपा देता है. रुक्मिणी वसंत ने फर्स्ट हाफ में साधारण प्रदर्शन किया, लेकिन सेकेंड हाफ में उनका अभिनय कमाल का है. जयराम ने क्लाइमैक्स में शानदार प्रदर्शन किया. वहीं, गुलशन देवैया का किरदार इस फिल्म में सूट नहीं करता.

म्यूजिक और साउंड

B Ajaneesh Loknath का म्यूजिक फिल्म की भावना के अनुसार दिया गया है. बैकग्राउंड म्यूजिक सही टाइमिंग और माहौल के हिसाब से उत्तम है. कुछ सीन में यह थोड़ा जोरदार लगता है, लेकिन पूरी तरह जस्टिफाइड है.

‘कांतारा चैप्टर 1’ फिल्म अपने दमदार विजुअल्स और क्लाइमैक्स के लिए थिएटर में देखने लायक है. हालांकि यह मास्टरपीस नहीं है और बॉलीवुड को शर्मसार करने वाली कोई फिल्म नहीं, लेकिन यह साउथ सिनेमा की ताकत और क्रिएटिविटी का शानदार उदाहरण है.