दिल्ली, जो अक्सर धुंध और जहरीली हवा के लिए जानी जाती है, अब राहत की सांस ले रही है। 2025 के पहले नौ महीनों (जनवरी से सितंबर) में दिल्ली की हवा पिछले 9 सालों में सबसे साफ रही है (अगर 2020 के लॉकडाउन वाले साल को छोड़ दें)। यह जानकारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों से सामने आई है।
AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स, जो हवा की गुणवत्ता को मापने का एक तरीका है, इस साल औसतन 164 रहा। यह आंकड़ा पिछले साल 2024 में 178 और 2023 में 167 था। इससे साफ है कि हवा की हालत बेहतर हुई है। 2018 में तो यह आंकड़ा 193 था। सिर्फ 2020 में AQI 144 तक गिर गया था, लेकिन वह लॉकडाउन की वजह से हुआ था।
इस साल मौसम ने भी दिल्ली का साथ दिया।
जनवरी में तापमान थोड़ा गर्म रहा, जिससे प्रदूषक नीचे जमा नहीं हुए।
गर्मियों में लू नहीं चली, जिससे हवा ज्यादा खराब नहीं हुई।
मानसून में बार-बार तेज बारिश हुई, जिसने प्रदूषकों को धो डाला।
इसके अलावा सरकार की नीतियों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों ने भी असर दिखाया।
जुलाई से सितंबर तक का समय यानी मानसून सीजन भी इस साल बहुत साफ रहा। इस दौरान AQI सिर्फ 91 रहा, जो 2018 के बाद सबसे कम है (2020 को छोड़कर)। 2023 में यही आंकड़ा 103 था, और 2018 में 109।
इस साल सितंबर तक दिल्ली में एक भी ऐसा दिन नहीं आया जब AQI 'गंभीर' या 'अति गंभीर' श्रेणी में गया हो। पिछले सालों में 2023 और 2024 में ऐसे 3-3 दिन थे, 2019 में 7 दिन। इस बार 'संतोषजनक' स्तर (AQI 75 या उससे कम) वाले दिनों की संख्या भी बढ़ी है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत है।
हवा में मौजूद सूक्ष्म कण – PM2.5 और PM10, जो सांस की बीमारियों का कारण बनते हैं, इस साल अब तक सबसे कम स्तर पर रहे। यह साफ हवा की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि असली परीक्षा अभी बाकी है। हर साल सर्दियों में दिल्ली की हवा बहुत खराब हो जाती है। पराली जलाना, ठंडी हवा और दिवाली का धुआं मिलकर AQI को खराब कर सकते हैं। इसलिए अभी से तैयारी करनी होगी ताकि सर्दियों में भी दिल्लीवाले साफ हवा में सांस ले सकें।
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