Bhai dooj 2025 : भाई दूज को क्यों कहा जाता है यम द्वितीया? क्या है वजह..

Bhai dooj 2025 : भाई दूज पर बहन भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती है. यह पर्व यम और यमुनाजी की कथा से जुड़ा है और भाई-बहन के प्रेम, आशीर्वाद व परंपरा का प्रतीक है.

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Bhai dooj 2025 : भाई दूज, दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला वह खास पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते को सिर्फ खून के रिश्ते से नहीं, बल्कि भावनात्मक बंधन से भी जोड़ता है. इस दिन बहनें अपने भाई के लिए दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं और उसके माथे पर तिलक लगाकर अपने स्नेह और आशीर्वाद का इजहार करती हैं.

वहीं भाई भी इस अवसर पर अपनी बहनों को उपहार और प्रेम से नवाजते हैं, यह वादा करते हुए कि वे जीवनभर उसकी रक्षा, सम्मान और सहयोग करते रहेंगे. भाई दूज सिर्फ एक रस्म नहीं, यह उन भावनाओं का उत्सव है जो इस रिश्ते को पीढ़ियों तक संजोए रखती हैं.

तिलक लगाने का शुभ समय: कब करें भाई का स्वागत?

भाई दूज पर तिलक और पूजा के लिए सही समय का चयन करना शुभ माना जाता है. ज्योतिषीय दृष्टि से कुछ विशेष मुहूर्त इस दिन को और पवित्र बना देते हैं:

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक अमृत काल: शाम 6:57 बजे से रात 8:45 बजे तक

इन समयों में तिलक करना विशेष फलदायी माना गया है, क्योंकि यह समय शुभ ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर होता है.

यम द्वितीया: भाई दूज के पीछे छिपी पौराणिक कथा

भाई दूज को "यम द्वितीया" भी कहा जाता है. इस नाम के पीछे एक सुंदर और भावनात्मक कथा जुड़ी है.

कहते हैं कि यमराज एक दिन अपनी बहन यमुनाजी के आग्रह पर उनके घर आए. यमुनाजी ने उनका स्वागत किया, तिलक लगाया, आरती उतारी और भोजन कराया. अपने बहन के इस स्नेह और सेवा से भावुक होकर यमराज ने कहा: जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा और उसका स्नेह प्राप्त करेगा, वह सदा सुखी और सुरक्षित रहेगा.

इसी आशीर्वाद की स्मृति में यह पर्व आज भी उत्साह से मनाया जाता है, जहां हर बहन अपने भाई की खुशहाली के लिए तिलक करती है और भाई इस प्रेम के बदले उसे उपहार और आशीर्वाद देता है.

बहनों की भूमिका

भाई दूज पर बहन का व्यवहार केवल एक रस्म नहीं, पूरे मन से किया गया स्वागत और प्रार्थना होता है. वह अपने भाई को घर बुलाती है, तिलक करती है, आरती उतारती है, और अपने हाथों से उसे भोजन कराती है.

इस पूरे क्रियाकलाप में बहन के अंदर का प्रेम, सेवा, आस्था और आत्मीयता झलकती है. यह दिन बहन के लिए एक अवसर होता है यह जताने का कि वह सिर्फ रक्षाबंधन पर राखी नहीं बांधती, बल्कि हर मौके पर अपने भाई की भलाई की कामना करती है.

भाई का उत्तरदायित्व: प्रेम और वचन

भाई दूज केवल बहनों की भावनाओं का ही उत्सव नहीं है. इस दिन भाई भी बहन के प्रति अपना प्रेम, आदर और कृतज्ञता प्रकट करते हैं. वे उपहार देते हैं, साथ समय बिताते हैं, और यह विश्वास दिलाते हैं कि वे जीवनभर उसकी मदद, सुरक्षा और समर्थन में कोई कमी नहीं आने देंगे.

भाई दूज केवल एक पारंपरिक त्यौहार नहीं, यह भाई-बहन के रिश्ते की गहराई का उत्सव है. यह दिन उन शब्दों को बयां करता है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर अनकहे रह जाते हैं.