Hariyali Amavasya 2025 : सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं. यह दिन प्रकृति, धार्मिक आस्था और पितृ तर्पण के लिए खास माना जाता है. इस बार हरियाली अमावस्या 24 जुलाई 2025, गुरुवार यानी आज मनाई जा रही हैं. इस दिन गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है, जो इसे और अधिक शुभ बना देता है. इस अवसर पर पौधारोपण का विशेष महत्व है और साथ ही नांदीमुख श्राद्ध करने की परंपरा भी है.
नांदीमुख श्राद्ध को शुभता का प्रतीक माना गया है. यह श्राद्ध प्रेत श्राद्ध नहीं है, बल्कि यह उन कार्यों के लिए किया जाता है जो घर में शुभता और समृद्धि लाते हैं. नांदी का अर्थ है सुख या आनंद और मुख का अर्थ है आरंभ. इसका मतलब है शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पितरों का स्मरण.
1. मांगलिक कार्यों से पहले
जब घर में विवाह, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कार्य होने वाले होते हैं, तो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आने के लिए यह श्राद्ध किया जाता है. इसे शुभ अवसरों पर या अमावस्या के दिन किया जा सकता है.
2. पहली बार श्राद्ध होने पर
यदि किसी परिजन का देहांत हुआ है और पहली बार श्राद्ध किया जा रहा है, तो नांदीमुख श्राद्ध अनिवार्य माना जाता है. ऐसा करने से पितरों को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है. हरियाली अमावस्या इस कार्य के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है.
नांदीमुख श्राद्ध की विधि शिव पुराण में बताई गई है. यह आमतौर पर पंडितों के मार्गदर्शन में किया जाता है. मुख्य कर्मकांड इस प्रकार हैं:
मातृका पूजन और वसोर्धारा पवित्रीधारण, आचमन, शिखा बंधन पंचगव्य निर्माण और संकल्प तर्पण, पिंडदान और सपिंडक विधि अंत में ब्राह्मण भोजन और आशीर्वाद ग्रहण
सभी मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं. पितृदोष, देवदोष और सर्पदोष दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. पितरों को शांति और सद्गति मिलती है.
हरियाली अमावस्या न केवल हरियाली और प्रकृति के प्रति सम्मान का दिन है, बल्कि यह पितरों की शांति और जीवन में शुभता लाने वाला अवसर भी है. इस दिन नांदीमुख श्राद्ध करने से घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी कार्य सफलता पूर्वक संपन्न होते हैं.
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