फ्रांस की फर्स्ट लेडी ब्रिजिट मैक्रों पर विवाद, यूट्यूबर्स के खिलाफ मानहानि का केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा

फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिजिट मैक्रों ने दो यूट्यूबर्स पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है. इन यूट्यूबर्स ने दावा किया था कि ब्रिजिट जन्म से पुरुष थीं और लिंग परिवर्तन के बाद इमैनुएल मैक्रों से शादी की.

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फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिजिट मैक्रों एक बार फिर से विवादों में हैं. दो यूट्यूबर्स द्वारा किए गए सनसनीखेज दावे के बाद ब्रिजिट ने फ्रांस की सर्वोच्च अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया है. इन यूट्यूबर्स ने एक वीडियो में यह दावा किया था कि ब्रिजिट जन्म से एक पुरुष थीं और बाद में लिंग परिवर्तन कर इमैनुएल मैक्रों से शादी की. इस वीडियो के वायरल होने के बाद पूरे फ्रांस में यह मामला तूल पकड़ गया, और अब यह विवाद कानूनी मोड़ पर पहुंच गया है.

क्या है पूरा मामला?

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजिट अक्सर अपने उम्र के फासले को लेकर चर्चा में रहते हैं—जहां मैक्रों 47 वर्ष के हैं, वहीं ब्रिजिट की उम्र 72 वर्ष है. लेकिन यह नया विवाद उनके व्यक्तिगत जीवन के एक और पहलू को लेकर उठा है. यूट्यूबर्स अमंडाइन रॉय और नताशा रे ने एक वीडियो में दावा किया कि ब्रिजिट मैक्रों असल में "जीन-मिशेल ट्रोग्नेक्स" नामक पुरुष थीं, जिन्होंने लिंग परिवर्तन के बाद ब्रिजिट के रूप में नई पहचान अपनाई.

पहले भी हुई थी सुनवाई

इस मामले में पहले ब्रिजिट ने निचली अदालत में केस दर्ज करवाया था. उस समय अदालत ने दोनों महिलाओं पर कुल 13 हजार यूरो का जुर्माना लगाया था, जिसमें 8 हजार यूरो ब्रिजिट और 5 हजार यूरो उनके भाई को देने का आदेश था. हालांकि पेरिस की एक अदालत ने बाद में इस सजा को माफ कर दिया.

अब सुप्रीम कोर्ट में मामला

सजा माफ होने के बाद ब्रिजिट और उनके भाई ने फ्रांस की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है. यह केस अब एक प्रतिष्ठा और निजता से जुड़ा हुआ मुद्दा बन गया है. इससे साफ है कि सार्वजनिक जीवन में अफवाहें और गलत सूचनाएं किस हद तक असर डाल सकती हैं.

ब्रिजिट और मैक्रों हमेशा सुर्खियों में

ब्रिजिट और इमैनुएल मैक्रों का रिश्ता शुरू से ही विवादों और चर्चाओं में रहा है, खासकर उनके उम्र के फासले को लेकर. पहले भी एक वायरल वीडियो में मैक्रों को प्लेन में थप्पड़ मारने की खबर आई थी, जिस पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी टिप्पणी की थी.

यह केस केवल एक पर्सनल अटैक नहीं, बल्कि यह सवाल उठाता है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें किसी की भी छवि को किस कदर नुकसान पहुंचा सकती हैं.