सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा की गई 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर और लाइब्रेरियन की भर्ती को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया गलत तरीके से और नियमों को नजरअंदाज करके की गई थी। राज्य सरकार इसे सही साबित करने के लिए कोई ठोस वजह नहीं बता पाई।
क्या है मामला?
साल 2021 में पंजाब सरकार ने 1158 पदों पर भर्ती निकाली थी।
बाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस भर्ती को रद्द कर दिया था।
लेकिन सरकार ने पहले ही 609 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दे दिए थे।
इनमें से सिर्फ 135 लोगों को पोस्टिंग और वेतन मिल रहा था।
फिर क्या हुआ?
सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की, जिसने सितंबर 2024 में सिंगल बेंच का फैसला पलट दिया और बाकी उम्मीदवारों को भी नौकरी जॉइन करने की इजाजत दी।
सरकार का कहना था कि सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
याचिकाकर्ता इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया और कहा कि भर्ती प्रक्रिया अनियमित और मनमानी थी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि UGC के नियमों के अनुसार दोबारा से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
असर
अब सभी 1158 नियुक्तियां रद्द हो गई हैं।
केवल उन्हीं लोगों को राहत मिल सकती है, जिन्हें नए नियमों के तहत दोबारा चुना जाएगा।
इस फैसले से पंजाब सरकार को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि सरकारी कॉलेजों में पहले से ही शिक्षक कम हैं।
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