चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने सोमवार को विधानसभा में एक नया कानून पेश किया, जिसका मकसद धार्मिक ग्रंथों के अपमान को रोकना है। इस कानून का नाम है "पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025", जिसे मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सदन में पेश किया।
इस प्रस्तावित कानून के मुताबिक, अगर कोई श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, बाइबिल या कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करता है, तो उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस कानून को मंजूरी दी गई। सरकार का कहना है कि इससे पंजाब में सांप्रदायिक सौहार्द, भाईचारा और शांति मजबूत होगी।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बीते वर्षों में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और समाज में तनाव फैला है। हालांकि भारतीय कानून में ऐसे मामलों के लिए पहले से कुछ धाराएं मौजूद हैं (जैसे IPC की धारा 298, 299, 300), लेकिन उनमें सजा इतनी सख्त नहीं है कि अपराधियों को डर लगे।
इसलिए अब राज्य सरकार ने एक अलग और सख्त कानून लाने का फैसला किया है, जो सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों के अपमान को गंभीर अपराध मानेगा।
अगर कोई जानबूझकर बेअदबी करता है, तो उसे 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी।
अगर कोई बेअदबी की कोशिश करता है, तो उसे 3 से 5 साल तक की सजा मिल सकती है।
अगर कोई अपराध में साथ देता है, तो उसे भी उसी हिसाब से सजा दी जाएगी।
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस मुद्दे को गंभीर बताया और मांग की कि इस कानून पर विस्तार से चर्चा की जाए। चर्चा मंगलवार को हो सकती है।
सरकार का मानना है कि यह कानून भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद करेगा और धार्मिक सम्मान बनाए रखने के लिए एक सशक्त कदम होगा।
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