इंदौर फिर बना देश का सबसे स्वच्छ शहर, आठवीं बार हासिल की नंबर-1 की कुर्सी

भारत में सफाई की मिसाल बन चुका इंदौर एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ है. केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25' के परिणामों में इंदौर ने लगातार आठवीं बार पहला स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया है।

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भारत में सफाई की मिसाल बन चुका इंदौर एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ है. केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25' के परिणामों में इंदौर ने लगातार आठवीं बार पहला स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया है। इस वर्ष भी गुजरात का सूरत शहर दूसरे नंबर पर रहा, जिसने सफाई और शहरी सेवा क्षेत्र में अपनी साख बनाए रखी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा किया गया था.

क्या है स्वच्छ सर्वेक्षण मिशन?

‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश भर में नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना और समाज के हर वर्ग को शहरी सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है। यह मिशन 2016 में शुरू हुआ था और अब अपने नौवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है. इस पहल के तहत हर साल देश के शहरी इलाकों की सफाई, कचरा प्रबंधन और सेवा वितरण की गुणवत्ता को जांचा जाता है.

इस बार किन मानकों पर हुई रैंकिंग?

सरकार के मुताबिक, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 ने इस बार एक स्मार्ट और संरचित दृष्टिकोण को अपनाया। रैंकिंग के लिए कुल 10 पैरामीटर और 54 इंडिकेटर्स का इस्तेमाल किया गया. इन मापदंडों में निम्नलिखित शामिल थे-

ठोस कचरा प्रबंधन

सार्वजनिक शौचालयों की सफाई

नागरिक प्रतिक्रिया और भागीदारी

स्वच्छता की सतत निगरानी

सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच

इस बार देश भर के 4,500 से अधिक शहरों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा शहरी सफाई सर्वेक्षण बन गया।

इंदौर क्यों है अव्वल?

इंदौर नगर निगम ने न सिर्फ कचरा प्रबंधन में नवाचार किया है बल्कि डोर-टू-डोर कलेक्शन, रीसाइक्लिंग और डिजिटल निगरानी जैसे मॉडर्न तरीकों को अपनाकर नागरिकों का भरोसा और भागीदारी भी हासिल की है. इंदौर के नागरिक खुद भी अपने शहर को साफ रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

सरकार का क्या कहना है?

केंद्र सरकार के अनुसार, इस पहल का मूल मकसद "शहरों को रहने लायक बेहतर स्थान बनाना" है और इसके लिए सभी वर्गों की भागीदारी जरूरी है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस साल का सर्वेक्षण ज्यादा डेटा-संचालित, तकनीकी और पारदर्शी रहा. स्वच्छता सिर्फ सरकार का काम नहीं, यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर अपने शहरों को सुंदर और स्वस्थ बनाना है," – केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय