2020 के दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। खालिद का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने एक झूठे गवाह को तैयार किया, ताकि वह उन्हें दंगों की साजिश में शामिल साबित कर सके।
कड़कड़डूमा कोर्ट में खालिद के वकील त्रिदेव पायस ने अदालत को बताया कि सह-आरोपी ताहिर हुसैन के ड्राइवर राहुल कसाना का कथित बयान पूरी तरह से मनगढ़ंत है। कसाना ने दावा किया था कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और एमबीबीएस की छात्रा गुलफिशा फातिमा 8 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग में PFI के दफ्तर में दंगों की योजना बनाने के लिए मिले थे।
पायस ने कहा कि जब पहली बार मई 2020 में पूछताछ हुई थी, तब किसी भी बैठक का जिक्र नहीं था। खालिद की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले अचानक ऐसी घटना याद आ गई और उन्होंने झूठा बयान दिया।
वकील ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस का दावा गलत है। खालिद की फोन लोकेशन 8 जनवरी को शाहीन बाग नहीं बल्कि जाकिर नगर में दिखाती है। यानी पुलिस जो दावा कर रही है कि वह PFI दफ्तर में थे, वह सच नहीं है।
त्रिदेव पायस ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष एक कमजोर साजिश के सिद्धांत को मजबूर करने के लिए खालिद को उस बैठक से जोड़ रहा है जो वास्तव में हुई ही नहीं थी। कथित बैठक में खालिद उपस्थित नहीं थे और उन्हें इसकी कोई जानकारी भी नहीं थी। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई अगले बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी है।
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