दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या बारिश के दिनों में सड़कों पर जलभराव की है। हर बार बारिश होते ही राजधानी की कई सड़कें तालाब जैसी दिखने लगती हैं। अब सरकार ने इस समस्या से स्थायी राहत दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 50 साल बाद नया ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार किया गया है, जिस पर 57 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
दिल्ली का पिछला ड्रेनेज मास्टर प्लान साल 1976 में बनाया गया था। उस समय दिल्ली की आबादी लगभग 60 लाख थी और 25 मिमी प्रति घंटे बारिश को ध्यान में रखकर योजना बनाई गई थी। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आबादी कई गुना बढ़ गई है और बारिश भी ज्यादा होती है। इसलिए नया मास्टर प्लान 67 मिमी प्रति घंटे की बारिश को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि यह मास्टर प्लान पांच चरणों में लागू होगा और अगले 30 साल तक काम आएगा। इसमें दिल्ली के प्रमुख नालों की सफाई और चौड़ीकरण पर सबसे ज्यादा खर्च किया जाएगा।
नजफगढ़ नाले पर 35 हजार करोड़
बारापूला नाले पर 14 हजार करोड़
शाहदरा ड्रेन पर 9 हजार करोड़
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि जलभराव के कारण कई बार हादसे और मौतें हो चुकी हैं। इस योजना से दिल्ली को इस समस्या से स्थायी राहत मिलेगी। वहीं केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी यमुना नदी के आईटीओ से ओखला बैराज तक होती है। अब बैराज का नियंत्रण दिल्ली सरकार को मिल गया है, जिससे काम आसान होगा।
खट्टर ने यह भी बताया कि दिल्ली में पानी की कमी को दूर करने के लिए तीन बड़े डैम बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक हथिनी कुंड के पास बनाया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर और सिंधु जल संधि में बदलाव से दिल्ली को ज्यादा पानी मिलने लगेगा।
खट्टर ने दिल्ली की पिछली सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्वच्छता अभियान के 1100 करोड़ रुपये इस्तेमाल ही नहीं किए। भलस्वा डंपिंग यार्ड में कचरा डालने की जगह खत्म हो चुकी है, जिससे हालात और बिगड़े।