भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं अब सिर्फ कल्पना नहीं रहीं, वे वास्तविकता का रूप ले रही हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं युवा भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में 18 दिनों के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन से ड्रैगन यान के जरिए धरती पर लौटे हैं. लेकिन वो खाली हाथ नहीं लौटे उनके साथ आईं नई वैज्ञानिक खोजें, प्रयोगों के नतीजे, और भारत की बढ़ती अंतरिक्ष ताकत की झलक.
इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से कई प्रयोग ऐसे हैं जो भारत के आगामी गगनयान मिशन की नींव को और मजबूत कर सकते हैं. ये प्रयोग स्पेस में जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे भोजन, ऑक्सीजन, मानसिक स्वास्थ्य, फिजिकल फिटनेस और तकनीक से जुड़े हैं.
1. माइक्रो एल्गी पर रिसर्च
शुक्ला ने अंतरिक्ष में सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) पर अध्ययन किया कि ये कैसे बढ़ते हैं और कैसे ये स्पेस फूड बन सकते हैं. इनसे प्रोटीन और ऑक्सीजन दोनों मिल सकते हैं जो किसी भी स्पेस मिशन के लिए लाइफलाइन है.
2. मेथी और मूंग के बीज अंकुरण
शुक्ला ने ISS में मेथी और मूंग उगाकर दिखाया कि अंतरिक्ष में भी पौधों की खेती संभव है. इससे भविष्य में गगनयान के क्रू को फ्रेश फूड मिल सकता है.
3. स्क्रीनटाइम और माइक्रोग्रैविटी
स्पेस में स्क्रीनों से मानव संपर्क कैसे बदलता है? इसका अध्ययन शुक्ला ने किया, जो स्पेस क्रू ट्रेनिंग, हेल्थ मॉनिटरिंग और UI डिज़ाइन में बेहद कारगर होगा.
4. हड्डियों और मांसपेशियों पर असर
कम गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों और हड्डियों पर क्या असर होता है? शुक्ला ने इसका गहन विश्लेषण किया. इसका मकसद था स्पेस में बोन लॉस और मसल लॉस से सुरक्षा देना.
5. ऑक्सीजन प्रोडक्शन इन स्पेस
शुक्ला ने सायनोबैक्टीरिया पर काम किया, जो अंतरिक्ष में ऑक्सीजन जनरेट कर सकते हैं. भविष्य में यह स्पेस स्टेशनों में सस्टेनेबल ऑक्सीजन सप्लाई का रास्ता खोल सकता है.
6. ब्रेन-टू-कंप्यूटर इंटरफेस
एक अनोखा प्रयोग जिसमें शुभांशु ने देखा कि क्या इंसानी दिमाग कंप्यूटर से सीधे जुड़ सकता है. यह पहली बार हुआ है कि ब्रेन से मशीन तक डायरेक्ट सिग्नल की कोशिश की गई है.
7. वॉटर बबल्स और जीरो ग्रैविटी
शुक्ला ने जीरो ग्रैविटी में वॉटर बबल्स बनाकर दिखाया कि कैसे अंतरिक्ष में पानी के कण भिन्न तरीके से बर्ताव करते हैं. उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैं यहां वॉटर बेंडर बन गया हूं."
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलता है. उनके द्वारा किए गए प्रयोग गगनयान मिशन को न सिर्फ तकनीकी मजबूती देंगे, बल्कि भविष्य के मंगल या चंद्र अभियानों के लिए भी आधार तैयार करेंगे. उनकी मेहनत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण भारत के युवाओं को भी अंतरिक्ष विज्ञान की ओर प्रेरित करेगा. भारत अब सिर्फ सितारों को नहीं देख रहा, बल्कि उन्हें छूने की तैयारी में है और शुभांशु शुक्ला जैसे वैज्ञानिक इस उड़ान के पायलट बन चुके हैं.
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