बिहार की सियासी जमीन गर्म हो चुकी है. जहां एक ओर राजनीतिक दल प्रचार और रणनीति में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी पूरी कमर कस ली है. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव कुछ खास होने वाला है क्योंकि कई नई तकनीकी और पारदर्शी व्यवस्थाएं पहली बार लागू की जा रही हैं. आइए जानते हैं क्या-क्या बदलेगा इस बार के चुनाव में.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव 22 नवंबर से पहले संपन्न करा लिए जाएंगे, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल उसी दिन समाप्त हो रहा है. आयोग ने राज्य में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि इस बार की चुनावी पहल भविष्य में पूरे देश में लागू की जाएगी, यानी बिहार इस बार एक मिसाल बनने जा रहा है.
पिछले दो दिनों से चुनाव आयोग की पूरी टीम बिहार में मौजूद है. आयोग ने पटना में राजनीतिक दलों, प्रशासनिक अधिकारियों, प्रवर्तन एजेंसियों, CEO, SPNO, और CAPF अधिकारियों के साथ लंबी बैठकें की हैं. इन बैठकों में सुरक्षा, मतदान केंद्रों की स्थिति, और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने पर विशेष चर्चा की गई है.
आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि अब किसी भी पोलिंग बूथ पर 1200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे. इससे मतदाताओं की भीड़ कम होगी और मतदान प्रक्रिया आसान व सुरक्षित बनेगी. इसके अलावा BLO (Booth Level Officers) को मतदाताओं से सीधा संपर्क करने की जिम्मेदारी दी गई है और उन्हें विशेष ID कार्ड भी दिए गए हैं.
इस बार मतदाताओं को पोलिंग बूथ पर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी. मतदान से पहले मोबाइल जमा करने की सुविधा दी जाएगी ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी या वीडियो रिकॉर्डिंग से बचा जा सके.
सबसे बड़ी घोषणा यह रही कि इस बार सभी पोलिंग स्टेशनों पर 100% वेबकास्टिंग की जाएगी. इससे हर वोटिंग प्रक्रिया की लाइव निगरानी संभव होगी. इसके साथ ही EVM पर अब रंगीन बैलेट पेपर होंगे जिनमें उम्मीदवारों की तस्वीर और सीरियल नंबर साफ दिखेंगे, जिससे पहचान आसान होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि बिहार में वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म लागू किया जाएगा, जो चुनावी सूचनाओं को रियल टाइम में साझा करेगा. हर प्रत्याशी अपने एजेंट को बूथ से 100 मीटर दूरी तक तैनात कर सकेगा, जिससे निगरानी और अधिक प्रभावी होगी.