सोनम वांगचुक ने जेल से किया बड़ा ऐलान, लेह हिंसा की न्यायिक जांच तक रहेंगे हिरासत में, जानें

सोनम वांगचुक ने जेल से संदेश भेजा, कहा- लेह हिंसा की न्यायिक जांच तक रहूंगा हिरासत में और लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों के लिए खड़ा रहूंगा.

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लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक ने एनएसए के तहत जोधपुर सेंट्रल जेल में रहते हुए पहली बार अपने समर्थकों को संदेश भेजा है. वांगचुक ने अपने बड़े भाई त्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी के माध्यम से कहा कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित हैं. उन्होंने लेह हिंसा में मारे गए चार लोगों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं जताते हुए स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की. वांगचुक ने स्पष्ट किया कि जब तक यह जांच पूरी नहीं होती, वे जेल में रहने को तैयार हैं.

सांवैधानिक मांगों के लिए स्थिरता का संदेश

संदेश में वांगचुक ने लद्दाख के लोगों की संवैधानिक मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि वे छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा पाने की वास्तविक मांग में कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) और लद्दाख के लोगों के साथ खड़े हैं. उन्होंने अहिंसा और गांधीवादी मार्ग से आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया. वांगचुक ने कहा, "मैं लोगों से शांति, एकता और अहिंसा के सच्चे गांधीवादी तरीके से संघर्ष जारी रखने की अपील करता हूं."

लेह हिंसा और एनएसए के तहत गिरफ्तारी

26 सितंबर 2025 को लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए थे. इसके बाद प्रशासन ने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया. NSA के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. सरकार का दावा है कि कुछ नेताओं ने युवाओं को भड़काया, जिससे स्थिति हिंसक हुई. वहीं कई संगठनों ने वांगचुक की गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और शांति की उम्मीद

सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें NSA के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और तत्काल रिहाई की मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई सोमवार (6 अक्टूबर 2025) को होगी. कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला संवैधानिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस को जन्म देगा. वांगचुक के संदेश ने लद्दाख में तनावपूर्ण माहौल में शांति और संवाद की उम्मीद जगाई है.

सोनम वांगचुक का संदेश न केवल उनके समर्थकों के लिए हौसले का कारण है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और शांतिपूर्ण संघर्ष के महत्व को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है.