चेहरे या शरीर पर अचानक सफेद धब्बे दिख जाएं तो अक्सर लोग घबरा जाते हैं. समाज में इसे लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं- कुछ लोग इसे छूने से फैलने वाली बीमारी समझ लेते हैं तो कुछ इसे लाइलाज रोग मान बैठते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि सफेद दाग यानी विटिलिगो (Vitiligo) कोई छूत की बीमारी नहीं है, बल्कि ये एक त्वचा से जुड़ी मेडिकल कंडीशन है.
विटिलिगो को मेडिकल भाषा में हाइपोपिगमेंटेशन भी कहा जाता है. हमारी स्किन को रंग देने का काम मेलानिन नामक पिगमेंट करता है. जब शरीर में मेलानिन बनाने वाले सेल्स एक्टिव रहना बंद कर देते हैं या मरने लगते हैं, तो त्वचा पर सफेद पैच दिखाई देने लगते हैं. शुरुआत में ये छोटे-छोटे धब्बों के रूप में नजर आते हैं, लेकिन समय पर ध्यान न देने पर पूरे शरीर में फैल सकते हैं.
बहुत से लोग इसे कुष्ठ रोग या संक्रामक बीमारी समझकर दूरी बनाने लगते हैं, जबकि सच ये है कि विटिलिगो छूने से नहीं फैलता. इसमें न दर्द होता है और न ही जलन. ये केवल त्वचा के रंग में बदलाव से जुड़ी समस्या है, जिसे समय रहते कंट्रोल किया जा सकता है.
विटिलिगो होने की कोई एक वजह नहीं है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—
आनुवंशिक कारण: परिवार में किसी को ये समस्या रही हो तो अगली पीढ़ी में भी संभावना बढ़ सकती है. इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी: जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता गलती से स्किन सेल्स को ही नुकसान पहुंचाने लगे. तनाव और मानसिक दबाव: ज्यादा स्ट्रेस स्किन हेल्थ पर असर डाल सकता है. त्वचा पर चोट या केमिकल रिएक्शन: बार-बार की चोट या किसी केमिकल से एलर्जी भी इसका कारण बन सकती है. थायरॉइड और अन्य बीमारियां: कई बार यह ऑटोइम्यून डिज़ीज़ का संकेत भी हो सकता है.
जी हां, अगर शुरुआती स्टेज में पहचान हो जाए तो इसका इलाज संभव है.
दवाइयां और क्रीम्स: डॉक्टर स्टेरॉइड या टॉपिकल क्रीम्स से धब्बों को कंट्रोल कर सकते हैं. फोटोथेरेपी: स्किन को लाइट थेरेपी से ट्रीट किया जाता है. स्किन ग्राफ्टिंग: कुछ मामलों में सर्जिकल तकनीक भी अपनाई जाती है.
विटामिन B12 और फॉलिक एसिड की कमी से भी सफेद धब्बे हो सकते हैं. इसलिए डॉक्टर की सलाह से विटामिन और मिनरल्स से भरपूर डाइट लेना जरूरी है. घरेलू नुस्खों पर ज्यादा निर्भर न होकर विशेषज्ञ की राय लेना हमेशा बेहतर होता है.
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