हिंदी सिनेमा की दुनिया में कई चेहरे आए और गए, लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जो वक्त की धुंध में भी चमकते रहते हैं. ऐसा ही एक नाम है- श्रीदेवी. महज खूबसूरत चेहरा नहीं, बल्कि एक संपूर्ण कलाकार, जिन्होंने अभिनय को नई परिभाषा दी. पर्दे पर उनकी मौजूदगी ही काफी थी किसी भी दृश्य को यादगार बना देने के लिए.
श्रीदेवी ने बचपन से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. साउथ भारतीय सिनेमा से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर मेहनत, समर्पण और प्रतिभा की मिसाल है. उन्होंने रोमांस, कॉमेडी, ड्रामा और एक्शन हर शैली में खुद को साबित किया. फिल्म ‘चांदनी’ में उनका किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है. ऋषि कपूर के साथ उनकी केमेस्ट्री को खूब सराहा गया और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता भी हासिल की.
हाल ही में श्रीदेवी के पति और फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने उनके संघर्ष और समर्पण से जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं का जिक्र किया।.एक यूट्यूब चैनल 'गेम चेंजर्स' पर बातचीत के दौरान बोनी कपूर ने बताया कि श्रीदेवी ने अपनी अंतिम फिल्म ‘मॉम’ के लिए कई तरह के त्याग किए थे.
उन्होंने फिल्म के तमिल और तेलुगु संस्करणों के लिए खुद डबिंग की थी और म्यूजिक में ए.आर. रहमान को जोड़ने के लिए अपनी फीस तक कम कर दी थी. इतना ही नहीं, शूटिंग के दौरान उन्होंने बोनी कपूर के साथ कमरा तक शेयर करने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि वे इस समय सिर्फ एक 'मां' के किरदार में रहना चाहती हैं -पत्नी नहीं।
श्रीदेवी की केमेस्ट्री सिर्फ ऋषि कपूर तक सीमित नहीं थी. एक समय में उनकी जोड़ी जितेन्द्र के साथ भी बेहद हिट मानी जाती थी. फिल्म ‘तोहफा’ में दोनों ने साथ काम किया और दर्शकों ने इस जोड़ी को खूब पसंद किया. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया और इसे उस दौर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में गिना गया.
श्रीदेवी सिर्फ एक अदाकारा नहीं थीं, बल्कि वो एक प्रेरणा थीं. हर उस कलाकार के लिए जो कला को इबादत मानता है. उनका जीवन, उनकी मेहनत और समर्पण हमें यह सिखाता है कि सच्ची कला के लिए जुनून और त्याग जरूरी है.
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