शारदीय नवरात्रि भारत की सबसे पावन परंपराओं में से एक है. इस दौरान मां दुर्गा की आराधना विशेष विधियों से की जाती है. नवरात्रि में जवार (जौ) बोना बेहद शुभ माना जाता है. इसे मां दुर्गा के प्रसाद के रूप में बोया जाता है और पूरे नौ दिनों तक इनकी देखभाल की जाती है. दशमी के दिन इनका विसर्जन परंपरा के अनुसार किया जाता है.
जवार बोना नए जीवन की शुरुआत और शुभ संकेत का प्रतीक माना जाता है. जवारों की हरियाली घर में सुख-शांति, समृद्धि और प्रगति का संदेश देती है. इसके अलावा, जवारों की बढ़त देखकर पूरे साल की खेती और व्यक्ति के जीवन की दिशा का अनुमान लगाया जाता है. नवरात्रि के बाद इन्हें प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के समान होता है.
नवरात्रि समाप्त होने के बाद जवारों को सुखाकर किसी साफ कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन रखने वाली जगह पर रखने की परंपरा है. ऐसा करने से घर में बरकत बनी रहती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. यदि कोई व्यक्ति यह उपाय नहीं करना चाहता, तो जवारों को पवित्र स्थान जैसे पीपल के पेड़ के पास, नदी या तालाब में विसर्जित कर सकता है. घर के आंगन में बने गमले में इन्हें दबाकर रखना भी शुभ माना जाता है.
तिजोरी में जवार रखने से घर में धन की वृद्धि होती है. चूंकि इसे मां दुर्गा का प्रसाद माना जाता है, इसलिए इसे रखने से घर में मां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है. ऐसा विश्वास है कि इस उपाय से पैसों की कमी कभी नहीं होती और परिवार के जीवन में समृद्धि बनी रहती है.
जवारों का विसर्जन करते समय स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि इन्हें तिजोरी में रखा गया है, तो समय-समय पर तिजोरी को साफ करते रहना चाहिए. ध्यान रहे कि जवारों को किसी भी अशुद्ध या गंदी जगह पर न फेंके, क्योंकि ऐसा करने से मां नाराज हो सकती हैं और इसके नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.
नवरात्रि में जवार बोना केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि जीवन में सकारात्मकता, सुख-समृद्धि और शांति लाने का माध्यम भी है. सही विधि से जवारों का विसर्जन या तिजोरी में रखने से घर पर मां दुर्गा का आशीर्वाद स्थायी रूप से बना रहता है.
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