भारत में हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और अमावस्या तिथि को दो महत्वपूर्ण पर्व धनतेरस और दिवाली मनाए जाते हैं. ये दोनों पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि घरों और व्यवसायों के लिए भी समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक माने जाते हैं. साल 2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर को और दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं इन दोनों पर्वों का महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त.
धनतेरस कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. यह दिन समुद्र मंथन की उस कथा से जुड़ा है जब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यही कारण है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जिन्हें आयुर्वेद का देवता माना जाता है.
इसके साथ ही धनतेरस पर माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है. यह दिन धन, आरोग्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए बहुत शुभ माना जाता है. परंपरा के अनुसार, इस दिन सोना, चांदी या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ होता है. इससे घर में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है.
तारीख: 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) पूजा का समय: शाम 7:11 बजे से रात 9:22 बजे तक कुल अवधि: लगभग 2 घंटे 11 मिनट
इस समयावधि में आप घर या ऑफिस दोनों स्थानों पर धनतेरस की पूजा कर सकते हैं.
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है. यह पर्व माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का प्रमुख दिन है. ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन, वैभव और सुख-शांति का वास होता है.
इस दिन घरों के साथ-साथ दफ्तरों, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. दीप जलाने की परंपरा अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक मानी जाती है.
तारीख: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक कुल अवधि: 1 घंटा 10 मिनट
प्रदोष काल को ही लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह समय मां लक्ष्मी के पृथ्वी पर विचरण का होता है.
आज के दौर में जहां काम का अधिकतर समय ऑफिस में बीतता है, वहीं धनतेरस और दिवाली जैसे पर्वों पर वहां भी पूजा का आयोजन करना शुभ माना जाता है. ऑफिस में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि, आर्थिक उन्नति और सुख-शांति बनी रहती है. इन दिनों ऑफिस को भी दीपों, फूलों और रंगोली से सजाया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.