आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर दोपहर में झपकी लेने लगे हैं. खासकर वे लोग जो दिनभर घर के कामकाज में व्यस्त रहते हैं या फिर ऑफिस में काम के बीच थोड़ा आराम चाहते हैं. कुछ इसे ‘पावर नैप’ कहते हैं, तो कुछ इसे आलस्य की निशानी मानते हैं. लेकिन सवाल उठता है – क्या दोपहर की नींद वाकई फायदेमंद है या इससे सेहत को नुकसान हो सकता है? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट इस बारे में क्या कहते हैं और किन लोगों को यह आदत अपनानी चाहिए या नहीं.
TV 9 से बातचीत में डॉक्टरों के अनुसार, अगर आप दोपहर में 20 से 30 मिनट की हल्की नींद लेते हैं, तो ये न सिर्फ शरीर को ऊर्जा देती है, बल्कि दिमाग को भी रीफ्रेश कर देती है. दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के पल्मनोलॉजिस्ट और स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. अनिमेष आर्य के अनुसार, ये छोटा सा ब्रेक आपके फोकस लेवल को बेहतर करता है, तनाव कम करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है. साथ ही, दोपहर की नींद से ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है.
डॉ. आर्य का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति एक घंटे से अधिक सोता है, तो इससे रात की नींद पर असर पड़ सकता है. नींद का चक्र बिगड़ सकता है जिससे शरीर थका-थका सा महसूस करता है. खासतौर पर वे लोग जो पहले से ही नींद की समस्याओं से जूझ रहे हैं, जैसे कि इनसोम्निया, या जिन्हें डायबिटीज और हार्ट संबंधी रोग हैं – उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के दोपहर में सोने से बचना चाहिए.
एक्सपर्ट की सलाह है कि दोपहर की नींद का सही समय दोपहर 1 बजे से 3 बजे के बीच होता है. इस समय के बाद सोना आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक को बिगाड़ सकता है, जिससे रात की नींद पर असर पड़ता है और थकावट बनी रहती है.
अच्छी सेहत के लिए सिर्फ नींद का समय ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी मायने रखती है. 7-8 घंटे की गहरी और निर्बाध नींद शरीर के पुनर्निर्माण में मदद करती है. अगर आपकी नींद बार-बार टूटती है या देर से आती है, तो नीचे दिए गए उपाय अपनाकर उसे बेहतर बनाया जा सकता है:
सोने से पहले योग और प्राणायाम करें: बालासन, शवासन, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम नींद को बेहतर बनाते हैं. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल बंद करें. कैफीन से दूरी बनाएं: रात में चाय, कॉफी या एनर्जी ड्रिंक्स लेने से परहेज करें, क्योंकि ये नींद में बाधा बनते हैं.