कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने हाल ही में कुछ ऐसा किया जिसने देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों का ध्यान खींचा. हजारों किलोमीटर दूर, कनाडा के मिसिसॉगा शहर में बसे भारतीयों ने भारत के काशी और ऋषिकेश की विश्वविख्यात गंगा आरती को एक सुंदर प्रयास में रीक्रिएट किया. यह आयोजन क्रेडिट नदी के तट पर आयोजित किया गया, जिसमें दर्जनों लोगों ने पारंपरिक पोशाकों में शिरकत की और मंत्रों और भजनों के साथ गंगा आरती का भव्य आयोजन किया.
इस कार्यक्रम की मेजबानी रेडियो ढिशुम द्वारा की गई, और भारतीय कॉन्सुलेट के प्रतिनिधि वाणिज्य राजदूत संजीव सकलानी ने भी इसमें भाग लिया. इंडियन टोरंटो की सोशल मीडिया पोस्ट में इस आयोजन को “दिव्य और पवित्र मंत्रों से सजी भावपूर्ण शाम” बताया गया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग एक स्वर में आरती गाते नजर आ रहे हैं, जो किसी को भी भारत की घाटों की याद दिला देगा.
Indians are bringing the same useless rituals that turned sacred rivers into sewers back in India. ????
— Aaravi ???????? (@xAaravi) July 10, 2025
Keep your aartis, ashes, and idol-dumping out of Canada’s clean waters.
This needs to stop. Immediately. pic.twitter.com/yP7RlIQKUh
जहां कुछ लोगों ने इस आयोजन को विदेश में संस्कृति जीवित रखने की एक खूबसूरत कोशिश कहा, वहीं कुछ यूज़र्स इससे खासे नाराज भी नजर आए. कुछ ने कहा कि यह परंपरा भारत तक ही सीमित रहनी चाहिए और इसे कनाडा जैसे देशों में दोहराना वहां की स्वच्छता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए सही नहीं है.
एक यूजर ने लिखा, "अगर आपको गंगा इतनी प्रिय है तो भारत लौट जाइए." वहीं दूसरे ने टिप्पणी की, "जो रीति-रिवाज भारत की नदियों को प्रदूषित करते हैं, उन्हें विदेशों में दोहराने की कोई जरूरत नहीं है."
यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है, क्या विदेशों में भारतीय परंपराएं निभाना सही है, अगर उससे वहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा हो? आयोजकों ने भले ही पवित्र भाव से आयोजन किया हो, लेकिन भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करते समय स्थानीय नियमों और पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखना जरूरी होगा.
कनाडा में गूंजती यह आरती केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव और पहचान की आवाज़ है—जो बताती है कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, भारत हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहता है.