बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट की जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. सूत्रों के अनुसार, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के हजारों नागरिकों की पहचान राज्य में अवैध रूप से रह रहे लोगों के तौर पर की गई है, जो मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की कोशिश कर रहे थे. यह जानकारी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा 25 जून से शुरू किए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान सामने आई है.
ECI का मकसद है कि 30 सितंबर 2025 को जारी होने वाली फाइनल वोटर लिस्ट में केवल भारतीय नागरिकों के नाम ही दर्ज हों. इस प्रक्रिया में ऐसे विदेशी नागरिकों के नाम हटाए जाएंगे, जो गैर-कानूनी रूप से वोटर लिस्ट में शामिल होने की कोशिश कर रहे थे.
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वर्तमान में बिहार के 7.8 करोड़ मतदाताओं के सत्यापन का कार्य 77,000 से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs), सरकारी कर्मचारी और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कर रहे हैं. सभी नागरिकों से नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, मांगे जा रहे हैं.
इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं. याचिकाकर्ताओं में महुआ मोइत्रा (टीएमसी), मनोज झा (आरजेडी), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) समेत अन्य नेता शामिल थे. कोर्ट ने संशोधन प्रक्रिया को हरी झंडी तो दी, लेकिन ECI को निर्देश दिया कि सामान्य नागरिकों के पास मौजूद दस्तावेजों को भी वैध माना जाए.
ECI ने बताया है कि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी में भी यह विशेष अभियान जल्द शुरू किया जाएगा, क्योंकि इन राज्यों में मई 2026 तक विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और चुनाव मार्च-अप्रैल 2026 में संभावित हैं.