पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में प्रस्तावित लैंड पूलिंग योजना को लेकर स्पष्ट किया है कि इसका मकसद किसानों को एक स्थायी और सुरक्षित आमदनी का जरिया देना है, न कि जबरन जमीन छीनना. पटियाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मान ने कहा कि यह योजना किसानों की मर्जी से लागू की जाएगी और किसी भी किसान पर दबाव नहीं डाला जाएगा. उन्होंने दावा किया कि कृषि अब घाटे का सौदा बन चुकी है, इसलिए किसानों को नए विकल्प देने जरूरी हैं.
मान ने जोर देते हुए कहा कि इस योजना के तहत किसानों को केवल मुआवजा ही नहीं, बल्कि वाणिज्यिक और आवासीय भूखंड भी दिए जाएंगे, जिनसे उन्हें लगातार आय होती रहेगी. उनका दावा है कि यह पहल पंजाब के शहरी विकास को भी व्यवस्थित करेगी और अवैध कॉलोनियों की समस्या को खत्म करेगी.
मुख्यमंत्री ने किसान संगठनों और अकाली दल के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए उन पर 'अफवाह फैलाने' और 'निहित स्वार्थों के लिए आंदोलन' करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कुछ किसान यूनियनें अब सिर्फ अपना कारोबार चला रही हैं, और उनके नेता खुद होटल, अस्पताल और बड़ी संपत्तियों में हिस्सेदार हैं. मान ने इन संगठनों को खुली बहस की चुनौती भी दी और पूछा कि जब हरियाणा के साथ जल विवाद हुआ था, तब ये संगठन चुप क्यों थे?
वहीं अकाली दल पर हमला बोलते हुए भगवंत मान ने कहा कि बादल और मजीठिया परिवारों में सब कुछ ठीक नहीं है. उन्होंने यह तक आरोप लगाया कि उनके बीच विवाद 'लूट के पैसे' के बंटवारे को लेकर है। सीएम ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और अकाल तख्त के राजनीतिक इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया और आरोप लगाया कि धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है.
इस पूरी बयानबाज़ी के केंद्र में पंजाब का शहरी विकास, किसानों की आय और राजनीतिक टकराव तीनों ही प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं, लैंड पूलिंग योजना को लेकर आने वाले समय में राजनीतिक सरगर्मी और तेज़ हो सकती है.
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