दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के हालिया चुनावों में RSS समर्थित छात्र संगठन ABVP ने शानदार जीत दर्ज की। इस बार ABVP ने अध्यक्ष पद समेत तीन अहम पद अपने नाम किए, जबकि कांग्रेस समर्थित NSUI को केवल एक पद से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि, इन नतीजों को अभी अंतिम नहीं माना गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन्हें “अस्थायी” (Provisional) घोषित किया है।
असल में, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बार DUSU चुनावों पर कड़ी नजर रखी थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि आचार संहिता और लिंगदोह समिति की सिफारिशों का सख्ती से पालन होना चाहिए। यही कारण है कि चुनाव परिणामों को फिलहाल अस्थायी बताया गया है।
मुख्य चुनाव अधिकारी प्रोफेसर राज किशोर शर्मा ने कहा कि सभी उम्मीदवारों को अपने चुनावी खर्चों के ऑडिटेड खाते जमा करने होते हैं। आम तौर पर यह प्रक्रिया एक हफ्ते में पूरी हो जाती है, लेकिन इस बार मामला अदालत में होने के कारण इसमें देरी हो रही है। जब तक अदालत सभी शिकायतों और जांच को खत्म नहीं कर देती, तब तक नतीजों को अस्थायी ही रखा जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनावों के दौरान कई बार हस्तक्षेप किया। 10 सितंबर को कोर्ट ने यह देखा कि दीवारों और सार्वजनिक स्थानों पर पेंटिंग और पोस्टर चिपकाने जैसे उल्लंघन हो रहे हैं। इसी तरह, 17 सितंबर को नतीजों की घोषणा के बाद कोर्ट ने किसी भी तरह के विजय जुलूस (Victory Procession) पर रोक लगा दी। इसका कारण यह था कि पिछली बार ऐसे जुलूसों से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी थी।
2024 में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया था। उस समय सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने और पोस्टरों से भर देने के कारण वोटों की गिनती लगभग एक महीने तक रोकी गई थी। इस बार भी कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आचार संहिता और नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यानी ABVP की जीत ऐतिहासिक जरूर है, लेकिन फिलहाल वह आधिकारिक रूप से पक्की नहीं हुई है। अब सब कुछ अदालत की सुनवाई और चुनावी खर्चों की रिपोर्ट पर निर्भर करता है। जब तक कोर्ट हरी झंडी नहीं दिखा देता, तब तक ये नतीजे “अस्थायी” ही रहेंगे।
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