भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच के आखिरी दिन का नजारा बेहद रोमांचक रहा. जब इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ड्रॉ का संकेत देते हुए भारतीय बल्लेबाज़ों को हाथ मिलाने का ऑफर दिया. तो रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने बैटिंग जारी रखने का फैसला किया। दोनों बल्लेबाज़ों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए शतक पूरे किए और फिर मैच ड्रॉ करवाया.
इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इस मौके पर भारतीय बल्लेबाजों की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि अगर जडेजा और सुंदर शतक न भी बनाते, तब भी उनकी पारियां उतनी ही कीमती मानी जातीं.
बेन स्टोक्स ने कहा, 'इन दोनों की पारियों ने भारत को मुश्किल हालात से बाहर निकाला. हम थोड़ा मौका खोल चुके थे और उस वक्त यह साझेदारी बेहद अहम रही. उन्होंने कहा, "उन्होंने जिस स्थिति में बैटिंग की, वो बहुत कठिन थी। और अगर कोई बल्लेबाज़ 80 या 90 पर नॉटआउट लौटे और अपनी टीम को मुश्किल हालात से निकाल ले, तो वो 10 अतिरिक्त रन मायने नहीं रखते।"
स्टोक्स ने आगे कहा, 'शतक बनाना संतोषजनक होता है, लेकिन टीम को बचाना उससे भी बड़ा काम है. जो काम उन्होंने किया, वो टीम के लिए सबसे जरूरी था और उन्होंने वही किया. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका ड्रॉ का ऑफर सिर्फ खेल की परिस्थिति को देखकर था क्योंकि उस समय सिर्फ एक ही नतीजा संभव था-ड्रॉ
स्टोक्स ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने मुख्य गेंदबाजों को जोखिम में नहीं डाला क्योंकि मैच का कोई परिणाम निकलने वाला नहीं था. हमने हर संभव प्रयास किया, लेकिन जब साफ हो गया कि अब सिर्फ ड्रॉ ही संभावित नतीजा है, तो मैंने अपने प्रमुख गेंदबाजों को जोखिम में डालना ठीक नहीं समझा, खासकर जब अगले मैच में जल्दी वापसी करनी हो. स्टोक्स ने माना कि जडेजा और सुंदर का खेल सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं था, बल्कि वो जज्बा और ज़िम्मेदारी का प्रतीक था. भारत की हार को रोकने की उनकी दृढ़ता ने सीरीज को जीवित रखा.
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