गुरु पूर्णिमा 2025: आधुनिक जीवन की भागदौड़ में हम अक्सर उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने हमें गढ़ा है, संवारा है और जीवन के रास्तों पर चलना सिखाया है. गुरु पूर्णिमा एक ऐसा ही दिन है, जब हम रुककर उन सभी गुरुओं को स्मरण करते हैं जिन्होंने हमें ज्ञान, दिशा और प्रेरणा दी. चाहे वो स्कूल के शिक्षक हों या जीवन में आए मार्गदर्शक – उनका महत्व आज भी उतना ही है जितना प्राचीन समय में था.
इस बार गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 (गुरुवार) को मनाई जाएगी. ये पर्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को आता है और इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. उन्होंने महाभारत और अठारह पुराणों की रचना की थी, इसलिए इस दिन को गुरुओं की उपासना का सबसे पवित्र अवसर माना जाता है.
गुरु का अर्थ सिर्फ किताबों का ज्ञान देना नहीं है, बल्कि सही-गलत में फर्क करना सिखाना, हौसला बढ़ाना और खुद की पहचान कराना भी है. आज के समय में सोशल मीडिया भले नया जरिया बन गया हो गुरु के प्रति आभार जताने का, लेकिन भावनाएं आज भी वैसी ही हैं – दिल से जुड़ी, कृतज्ञता से भरी.
गुरु सिर्फ कक्षा में पढ़ाने वाला व्यक्ति नहीं होता। अगर किसी दोस्त ने मुश्किल वक्त में आपका मार्गदर्शन किया, अगर किसी बड़े भाई-बहन ने सही रास्ता दिखाया, अगर माता-पिता ने जीवन की पहली शिक्षा दी – तो ये सभी आपके गुरु हैं. इस दिन उन्हें दिल से धन्यवाद दें.
"गुरु बिना ज्ञान नहीं, गुरु बिना सम्मान नहीं. इस गुरु पूर्णिमा पर दिल से प्रणाम, आपके आशीर्वाद से ही जीवन में खुशियां हैं."
"गुरु वो दीपक हैं जो बिना बोले ही अज्ञानता का अंधेरा दूर कर देते हैं. इस गुरु पूर्णिमा पर उन्हें दिल से नमन."
"गुरु का आशीर्वाद जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है. इस गुरु पूर्णिमा पर उनके चरणों में सच्ची श्रद्धा अर्पित करें.
गुरु पूर्णिमा केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, यह रिश्तों को मजबूत करने का भी एक सुंदर जरिया है. आज जब हर कोई लक्ष्य, करियर और डेडलाइंस में उलझा है, तब यह दिन हमें ठहरने का मौका देता है – अपने गुरुओं को याद करने, आभार जताने और उनसे ऊर्जा लेने का.
अपने गुरु को फूल, माला या मिठाई भेंट करें. उनके चरणों में नमन करें या दूर होने पर कॉल या मैसेज से भावनाएं साझा करें. सोशल मीडिया पर दिल से निकले शब्दों में उन्हें समर्पित कोई पोस्ट या वीडियो बनाएं.
रोज सुबह 5 मिनट मेडिटेशन या प्राणायाम जरूर करें. सीखने की आदत को रोजाना की दिनचर्या में शामिल करें. गुरुओं की दी गई सीखों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें.
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