थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर बड़ा रूप ले चुका है। शुक्रवार को भारी गोलाबारी के बीच थाईलैंड ने कंबोडिया की सीमा से सटे अपने 8 जिलों में मार्शल लॉ (यानि सेना के सीधे नियंत्रण) लागू कर दिया है। यह फैसला चंथाबुरी और ट्राट प्रांतों में लिया गया, जहां हालात काफी तनावपूर्ण हैं।
थाई सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी अपिचार्ट सैप्रासर्ट ने बताया कि कंबोडिया की ओर से थाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश के बाद ये कदम उठाया गया है। थाईलैंड ने आरोप लगाया है कि कंबोडिया उनकी सीमा में जबरन घुसने की कोशिश कर रहा है, और यह स्थिति धीरे-धीरे युद्ध में बदल सकती है।
थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कहा है कि उनका देश अब अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। उन्होंने सेना को आदेश दिया है कि अगर जरूरत पड़ी, तो तुरंत कार्रवाई करें। उनका कहना है कि कंबोडिया से बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन अब थाईलैंड सख्त रुख अपनाएगा।
कंबोडिया की ओर से प्रधानमंत्री हुन मानेट ने कहा कि उनका देश युद्धविराम के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने थाईलैंड पर पुराने समझौतों से पीछे हटने का आरोप लगाया। कंबोडिया का कहना है कि थाईलैंड ने मलेशिया की मध्यस्थता से हुई शांति वार्ता की शर्तों का पालन नहीं किया।
इस संघर्ष में अब तक कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। थाईलैंड सरकार ने सीमा से लगे इलाकों से 1.3 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला है।
इस बीच, अमेरिका, चीन और मलेशिया ने दोनों देशों को शांति वार्ता में मदद देने की पेशकश की है। चीन ने यह भी कहा कि वे इस झगड़े में "पश्चिमी देशों की औपनिवेशिक नीति" को जिम्मेदार मानते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस संकट को लेकर आपात बैठक बुलाने का फैसला किया है।
हालांकि थाईलैंड अभी भी कह रहा है कि वह तीसरे पक्ष की बजाय कंबोडिया से सीधे बातचीत के ज़रिए मसला सुलझाना चाहता है। थाई विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे सभी देशों की मदद को स्वीकार करते हैं, लेकिन प्राथमिकता द्विपक्षीय समाधान को ही देंगे।
इस तरह, थाईलैंड-कंबोडिया विवाद एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है और दुनिया की नजरें अब इस तनाव को खत्म करने की कोशिशों पर टिकी हैं।
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