देश में जुलाई 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) का कलेक्शन ₹1.96 लाख करोड़ रहा, जो पिछले साल जुलाई की तुलना में 7.5% अधिक है। यह लगातार तीसरा महीना है जब GST संग्रह ₹1.90 लाख करोड़ से ऊपर रहा है। इससे साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे और मजबूती से आगे बढ़ रही है।
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस बार सिर्फ टैक्स कलेक्शन ही नहीं, बल्कि टैक्स रिफंड भी काफी तेजी से बढ़ा है। जुलाई में कुल ₹60,000 करोड़ का रिफंड दिया गया, जो पिछले साल की तुलना में 67% अधिक है। इसका मतलब है कि सरकार अब टैक्स रिफंड देने की प्रक्रिया को और तेज कर रही है, जिससे खासतौर पर निर्यातकों और कारोबारियों को फायदा हो रहा है। इससे उनकी वर्किंग कैपिटल यानी कामकाज के लिए जरूरी नकदी की स्थिति भी बेहतर होती है।
GST कलेक्शन का बंटवारा इस तरह रहा:
CGST (केंद्र सरकार का हिस्सा): ₹34,000 करोड़
SGST (राज्य सरकार का हिस्सा): ₹42,500 करोड़
IGST (राज्यों के बीच लेन-देन): ₹1.05 लाख करोड़
सेस (कुछ खास वस्तुओं पर टैक्स): ₹14,500 करोड़
विशेषज्ञों का कहना है कि GST में यह बढ़ोतरी कई वजहों से हुई है — जैसे कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी, टैक्स जमा करने में बेहतर अनुशासन (compliance) और सरकार की सख्त निगरानी व्यवस्था। सरकार ने हाल के महीनों में GST चोरी रोकने और सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिसका असर अब दिख रहा है।
रिफंड में जो 67% की बढ़ोतरी हुई है, वह इस बात का संकेत है कि सरकार अब कारोबारियों की समस्याओं को समझ रही है और उन्हें राहत देने के लिए तेजी से फैसले ले रही है। इससे कारोबारियों का भरोसा बढ़ेगा और आगे जीएसटी सिस्टम और भी मजबूत होगा।
कुल मिलाकर, जुलाई 2025 का GST कलेक्शन और रिफंड दोनों ही भारत की आर्थिक सेहत के अच्छे संकेत हैं। यह दिखाता है कि सरकार और व्यापार जगत, दोनों मिलकर देश को आर्थिक रूप से आगे ले जाने के रास्ते पर हैं।
Copyright © 2025 The Samachaar
