Shakambhari Navratri 2025: हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है. इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि सबसे फेमस हैं. इसके अलावा दो और नवरात्रियां होती हैं, जिन्हें कभी-कभी गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इन नवरात्रियों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.
इन चार नवरात्रियों के अलावा पौष मास में भी एक विशेष नवरात्रि मनाई जाती है, जिसे शाकंभरी नवरात्रि कहा जाता है. इस दिन लोग मां शाकंभरी की पूजा करते हैं, जो वनस्पति और हरियाली की देवी मानी जाती हैं.
मां शाकंभरी को देवी दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब धरती पर अकाल और भोजन की कमी हो गई थी, तब मां दुर्गा ने शाकंभरी रूप धारण करके लोगों को अन्न और हरियाली दी.
इस नवरात्रि का पर्व जीवन में भोजन, जल, पेड़-पौधे और प्रकृति के महत्व को याद दिलाता है. लोग इस अवसर पर प्रकृति के संरक्षण की शपथ भी लेते हैं और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा लेते हैं.
पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि शुरू होती है और पूर्णिमा तक चलती है. इस वर्ष ये नवरात्रि 28 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 3 जनवरी 2026 को समाप्त होगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि शाकंभरी नवरात्रि 8 दिनों की होती है, न कि नौ दिनों की.
शाकंभरी नवरात्रि के दौरान पूजा करने की सरल विधि इस प्रकार है:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें.
2. मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोएं और 8 दिनों तक पानी छिड़कते रहें.
3. पहले दिन कलश स्थापना करें. इसके लिए चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर गंगाजल से भरा कलश रखें.
4. कलश को लाल कपड़े से ढकें और उस पर जटा वाला नारियल रखें. नारियल पर लाल चुनरी और कलावा बांधें.
5. मां शाकंभरी को फूल, माला, अक्षत और रोली अर्पित करें.
6. इस प्रकार पूरे 8 दिनों तक मां शाकंभरी का पूजन करें.
शाकंभरी नवरात्रि केवल धार्मिक महत्व का ही नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवन के मूल तत्वों को याद दिलाने वाला पर्व भी है. यह हमें भोजन, जल और पेड़-पौधों की कदर करना सिखाता है.
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