भारत के पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (Executive Director) के पद पर नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति भारत सरकार ने 28 अगस्त 2025 को मंजूर की। वे इस पद पर तीन साल तक काम करेंगे और केवी सुब्रमण्यन की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल समय से छह महीने पहले ही समाप्त कर दिया गया।
आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड 25 सदस्यों से बना होता है, जिन्हें सदस्य देशों द्वारा चुना जाता है। भारत जिस निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, उसमें बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान भी शामिल हैं। यानी उर्जित पटेल इन चार देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे।
उर्जित पटेल 2016 में रघुराम राजन के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर बने थे। हालांकि दिसंबर 2018 में उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया। उस समय सरकार और रिजर्व बैंक के बीच केंद्रीय बैंक के रिजर्व फंड (लाभांश हस्तांतरण) को लेकर विवाद चल रहा था। गवर्नर बनने से पहले वे आरबीआई में डिप्टी गवर्नर भी रह चुके थे, जहां उन्होंने मौद्रिक नीति, सांख्यिकी, सूचना प्रबंधन और आर्थिक शोध जैसे विभागों का काम देखा।
आईएमएफ में नई जिम्मेदारी मिलने से पहले उर्जित पटेल एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) में उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे थे। यहां वे निवेश संचालन की जिम्मेदारी संभालते थे, लेकिन जनवरी 2024 में पारिवारिक कारणों से उन्होंने यह पद छोड़ दिया।
असल में उर्जित पटेल का IMF से पुराना जुड़ाव है। उन्होंने 1990 से 1995 तक आईएमएफ में काम किया था। उस दौरान उन्होंने अमेरिका, भारत, बहामास और म्यांमार जैसे देशों से जुड़े कामकाज संभाले थे।
1963 में जन्मे उर्जित पटेल ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक किया और फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से 1986 में एमफिल की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने 1990 में येल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की।
भारत लौटने के बाद वे 1998 से 2001 तक वित्त मंत्रालय में सलाहकार रहे। इसके अलावा उन्होंने निजी और सार्वजनिक कंपनियों में भी काम किया, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, IDFC लिमिटेड, MCX लिमिटेड और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन शामिल हैं।
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