आज के दौर में स्मार्टफोन बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन यही डिवाइस उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर गलत असर डाल रहे हैं. देर रात तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल, नींद की कमी और ध्यान भटकना अब एक गंभीर समस्या बन गई है. इसी चिंता को देखते हुए कई देश लगातार कदम उठा रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के बाद अब दक्षिण कोरिया ने भी क्लासरूम में मोबाइल और डिजिटल डिवाइस ले जाने पर रोक लगाने का बड़ा निर्णय लिया है.
दक्षिण कोरिया की संसद से पारित ये कानून अगले साल मार्च से लागू हो जाएगा. इस नियम को पेश करने वाले नेता चो जुंग-हुन का कहना है कि बच्चे रात 2-3 बजे तक इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर एक्टिव रहते हैं. जिसकी वजह से, सुबह उठने पर उनकी आंखें लाल होती हैं और थकान बनी रहती है. सरकार का मानना है कि ये लत बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल सकती है.
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड भी ऐसे फैसले ले चुके हैं. नीदरलैंड में स्कूलों से मोबाइल फोन पर रोक लगने के बाद छात्रों के फोकस और पढ़ाई में सुधार देखने को मिला था. इसी पैटर्न को अब दक्षिण कोरिया भी अपनाने जा रहा है.
दक्षिण कोरिया के शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाली बाते सामने आई हैं.
37% छात्रों ने माना कि सोशल मीडिया उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है. 22% छात्रों ने बताया कि सोशल मीडिया एक्सेस न मिलने पर उन्हें बेचैनी और एंग्जायटी होती है.
यही कारण है कि कई स्कूलों में पहले से ही सीमित लेवल पर स्मार्टफोन बैन था, लेकिन अब इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.
ये नियम सभी छात्रों के लिए लागू होगा, लेकिन दिव्यांग बच्चों को इससे बाहर रखा गया है. साथ ही, पढ़ाई और शिक्षा से जुड़ी जरूरतों के लिए स्मार्टफोन इस्तेमाल की अनुमति दी गई है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया की लत न केवल पढ़ाई को प्रभावित कर रही है, बल्कि बच्चों की नींद, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक व्यवहार पर भी नकारात्मक असर डाल रही है. दक्षिण कोरिया का ये कदम न सिर्फ शिक्षा के लेवल को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि बच्चों के लिए एक स्वस्थ दिनचर्या बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा.
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