सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बेहद पावन माना जाता है. इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित करते हैं. साथ ही कई भक्त खुद भी शिवप्रिय वस्तुएं धारण करते हैं, जिनमें रुद्राक्ष सबसे खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है और इसे धारण करना न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है.
बहुत से लोग नहीं जानते कि रुद्राक्ष केवल एक मुखी नहीं होता बल्कि इसके 21 प्रकार होते हैं, जिन्हें उनके मुख (Faces) के आधार पर पहचाना जाता है. हर मुखी रुद्राक्ष का अलग महत्व और स्वास्थ्य पर अलग असर होता है.
1. एक मुखी रुद्राक्ष रक्त संचार और हृदय रोगों में लाभकारी होता है.
2. दो मुखी रुद्राक्ष पेट की समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी के साथ-साथ डिप्रेशन और हिस्टीरिया को दूर करता है.
3. तीन मुखी रुद्राक्ष लिवर और गॉल ब्लैडर की समस्याओं में उपयोगी है.
4. चार मुखी रुद्राक्ष किडनी, थायराइड, मानसिक कमजोरी और हकलाहट में फायदा पहुंचाता है.
5. पांच मुखी रुद्राक्ष सबसे सामान्य और हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है. यह ब्लड प्रेशर को संतुलित करता है और नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है.
1. छह मुखी रुद्राक्ष खासतौर पर 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए उत्तम है. यह एकाग्रता बढ़ाता है और गले, आंख, किडनी तथा पाचन संबंधी परेशानियों में मदद करता है.
2. सात मुखी रुद्राक्ष तनाव और करियर से जुड़े तनाव को दूर करता है.
3. आठ मुखी रुद्राक्ष नींद न आने की समस्या को दूर करता है.
4. नौ मुखी रुद्राक्ष शरीर और जोड़ों के दर्द में राहत देता है.
5. दस मुखी रुद्राक्ष सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं में कारगर माना जाता है क्योंकि इसमें गर्म प्रकृति होती है.
किसी भी प्रकार का रुद्राक्ष पहनने से पहले विशेषज्ञ या अनुभवी व्यक्ति की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है. सही रुद्राक्ष का चुनाव आपके स्वास्थ्य और जीवन में सकारात्मक प्रभाव ला सकता है.
रुद्राक्ष न केवल धार्मिक प्रतीक है, बल्कि एक प्रकार का प्राकृतिक हीलिंग टूल भी है. सावन के इस पवित्र महीने में यदि आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो अपनी सेहत से जुड़ी जरूरत के अनुसार उसका चुनाव जरूर करें.
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