एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने कक्षा 8 की नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में मुग़ल शासकों के चरित्र को लेकर बड़ा बदलाव किया है. नई किताब में बाबर को 'निर्दयी और क्रूर विजेता', अकबर को "निर्दयता और सहिष्णुता का मिश्रण", और औरंगज़ेब को धार्मिक स्थलों के विध्वंसक के रूप में वर्णित किया गया है. इसके साथ ही दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को 'इतिहास के कुछ काले अध्यायों' के रूप में पेश किया गया है.
एनसीईआरटी का कहना है कि यह बदलाव ईमानदार और साक्ष्य-आधारित ऐतिहासिक दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए किया गया है. साथ ही एक चेतावनी भी दी गई है कि 'आज किसी को अतीत की घटनाओं के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए.
यह नई किताब ‘Exploring Society: India and Beyond’ के नाम से जारी की गई है और यह 2024-25 के शैक्षणिक सत्र में लागू की गई है। पहले यह ऐतिहासिक कालखंड कक्षा 7 में पढ़ाया जाता था, लेकिन अब नई पाठ्यचर्या के अनुसार इसे कक्षा 8 में शामिल किया गया है. इसमें दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य, विजयनगर और मराठों के उदय और प्रतिरोध को विस्तार से समझाया गया है.
मंदिरों पर हमले, गांवों की लूट और 'धार्मिक असहिष्णुता' का ज़िक्र नई किताब के एक अध्याय 'Reshaping India’s Political Map' में दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासन को अस्थिरता, सैन्य अभियानों, गांवों और नगरों की लूट और मंदिरों के विध्वंस से भरे दौर के रूप में प्रस्तुत किया गया है. इसमें सल्तनत और मुगलों द्वारा किए गए मंदिरों पर हमलों का बार-बार ज़िक्र किया गया है, NCERT के मुताबिक, इतिहास को नहीं किया गया शुद्ध; बल्कि संतुलित रूप से पेश किया गया.
'ये घटनाएं सच में हुई थीं और भारतीय इतिहास पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा है. इन्हें शामिल करने का तर्क ‘इतिहास के कुछ काले अध्याय’ में स्पष्ट किया गया है. हमारा उद्देश्य इतिहास को ईमानदारी से प्रस्तुत करना है ताकि इससे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सबक लिए जा सकें. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि यह उद्देश्य किसी समुदाय या व्यक्ति को आज के दौर में दोषी ठहराना नहीं है, बल्कि छात्रों को तथ्यों के साथ ईमानदार इतिहास पढ़ाना है.
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF 2023) के अनुरूप किया गया है। अब तक कक्षा 1 से 4 और कक्षा 6 और 7 के लिए नई किताबें प्रकाशित की जा चुकी हैं. कक्षा 8 की यह सामाजिक विज्ञान की किताब पहली है जिसमें मुगलों और सल्तनत काल को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है.