अब आपकी AI चैट्स भी बनेंगी Meta की कमाई का जरिया – जानिए कैसे!

Meta अब Facebook और Instagram पर AI चैट का उपयोग टारगेटेड विज्ञापनों के लिए करेगी. ये नियम 16 दिसंबर से लागू होगा, लेकिन EU, UK और साउथ कोरिया में प्रभावी नहीं होगा.

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अगर आप Facebook या Instagram पर AI चैट का इस्तेमाल करते हैं, तो अब आपको और भी सतर्क रहने की जरूरत है. टेक दिग्गज Meta ने एक नई घोषणा की है, जिसके अनुसार आपकी AI चैट्स का उपयोग अब टारगेटेड विज्ञापन दिखाने के लिए किया जाएगा. कंपनी ने इस फैसले के तहत अपनी गोपनीयता नीति (Privacy Policy) में बदलाव करने का फैसला किया है, जो आने वाले समय में करोड़ों यूजर्स को प्रभावित करेगा.।

किन यूजर्स की चैट्स का होगा इस्तेमाल?

Meta के अनुसार, दुनिया भर में Facebook और Instagram पर मौजूद AI चैट्स को एनालाइज करके यूजर्स को उनकी पसंद और व्यवहार के अनुसार विज्ञापन दिखाए जाएंगे. हालांकि, ये नया नियम हर देश पर लागू नहीं होगा.

इन देशों को मिलेगा प्राइवेसी का संरक्षण

Meta की नई नीति यूरोपीय संघ (EU), यूनाइटेड किंगडम (UK) और दक्षिण कोरिया (South Korea) में लागू नहीं होगी. इन देशों में कड़े डेटा प्राइवेसी कानून मौजूद हैं जो किसी भी कंपनी को यूजर की अनुमति के बिना डेटा इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देते. यही वजह है कि वहां के नागरिकों को इस अपडेट से छूट मिल गई है.

कौन-सी चैट्स नहीं होंगी ट्रैक?

Meta ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक विचार, धार्मिक मान्यताएं और स्वास्थ्य संबंधी चर्चाओं जैसी संवेदनशील जानकारी को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए ट्रैक या स्टोर नहीं किया जाएगा. यानी आपकी निजी और संवेदनशील बातचीत को कंपनी उपयोग नहीं करेगी, लेकिन सामान्य विषयों पर की गई चैट्स का विश्लेषण किया जा सकता है.

कब से लागू होंगे ये बदलाव?

टेकक्रंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Meta की यह नई प्राइवेसी नीति 16 दिसंबर 2025 से लागू हो जाएगी. इसके बाद कुछ ही दिनों में यूजर्स को इसकी सूचना भी दी जाएगी. हालांकि, अभी कंपनी ने ये साफ किया है कि वर्तमान में विज्ञापन दिखाने की कोई सीधी योजना नहीं है, लेकिन भविष्य में इसे लागू किया जा सकता है.

क्या है इसका बड़ा संकेत?

Meta का यह कदम इस बात का संकेत है कि कैसे बड़ी टेक कंपनियां “फ्री” AI सेवाओं के जरिए यूजर डेटा से मुनाफा कमाने के रास्ते तलाश रही हैं. जहां एक ओर यह AI को ज्यादा "पर्सनल" बनाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता भी बढ़ रही है.

अगर आप Meta AI का इस्तेमाल करते हैं, तो अब समय आ गया है कि आप अपनी चैटिंग आदतों पर फिर से विचार करें. आपकी हर बात, जो कभी सिर्फ "बातचीत" थी, अब विज्ञापन का हिस्सा बन सकती है.